रांची.: अखिल झारखण्ड छात्र संघ (आजसू) के प्रदेश अध्य्क्ष गौतम सिंह ने निजी विद्यालयों के समक्ष राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की बेबसी को राज्य के परिपेक्ष्य में दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. उन्होंने कहा कि आजसू मानती है कि निजी निजी विद्यालयों द्वारा शिक्षा मंत्री के आग्रह को ना मानना विद्यालय प्रबंधनों की तानाशाही है और यह घटना शिक्षा मंत्री के अपने ही कार्यक्षेत्र मे उनके प्रति अविश्वास का प्रतीक है.
गौतम सिंह ने कहा कि सरकार लाख दावे करे, पर हकीकत है कि इस कोरोना महामारी काल में शिक्षा मंत्री असहाय एवं जनता शोषित नजर आ रही है. शिक्षा मंत्री द्वारा निजी विद्यालय प्रबंधनों से बातचीत करना एवं बातचीत के उपरांत भी कोई ठोस निर्णय निकल कर बाहर ना आना शिक्षा के व्यवसायीकरण में सरकार की भागीदारी को दर्शाता है.
सरकार बीच का रास्ता निकालने का प्रयास कर रही है परंतु यह हास्यपद एवं निंदनीय है कि अपनी ओर से इस फीस संकट से निबटने को कोई वितीय सहयोग रूपी पहल नही कर रही जिससे विद्यालयों के छात्र छात्राओं के सभी शिक्षण शुल्क माफी एवं निजी विद्यालयों के शिक्षक एवं कर्मचारियों का वेतन दिया जा सके.
गौतम सिंह ने कहा संसाधन एवं वितीय राजस्व के मामले में हमारा पड़ोसी राज्य बिहार झारखंड के मुकाबले कही नही टिकता. बिहार सरकार ने जनता के प्रति अपने दायित्व को समझते हुए लॉकडाउन के अवधि का शुक्ल निजी विद्यालयों द्वारा ना लिए जाने का विभागीय निर्देश जारी कर दिया है वहीं हमारी झारखंड सरकार के शिक्षा मंत्री अपनी बेबसी का रोना रो रहे हैं.