नई दिल्ली: दक्षिण पश्चिम मानसून ने केरल में दस्तक दे दी है. इसी के साथ बरसात का चार महीने लंबा मौसम शुरू हो गया. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने बताया कि उत्तर भारत में “सामान्य से ज्यादा” बारिश हो सकती है जबकि मध्य भारत और दक्षिणी प्रायद्वीप में “सामान्य” बरसात का अनुमान है. बहरहाल, पूर्वी और पूर्वोत्तरी भारत में देश के अन्य हिस्सों की तुलना में कम बारिश होने की संभावना है.
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा, ” दक्षिण-पश्चिम मानसून ने केरल में दस्तक दे दी.” जून से सितंबर तक चलने वाले इस मानसून की वजह से देश में 75 फीसदी बारिश होती है. मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट ने 30 मई को मानसून आने की घोषणा की थी लेकिन आईएमडी ने इससे इनकार करते हुए कहा था कि इस तरह की घोषणा के लिए अभी स्थितियां बनी नहीं हैं.
मौसम विभाग के अनुसार पहली जून को मौसम केरल, लक्षदीप और अंडमान पहुंच गया है जबकि एक से पांच जून तक तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश में पहुंचेगा. 5 जून से 10 जून के बीच मानसून मध्य महाराष्ट्र, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल पहुंच जायेगा तथा 10 से 15 जून तक पूरे महाराष्ट्र के साथ ही ओडिशा, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के निचले इलाकों के साथ ही झारखंड, आधे बिहार को कवर करेगा.
इसके बाद 15 से 20 जून तक गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पूर्वी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड तक पहुंच जायेगा जबकि 20 से 25 जून तक पूरे गुजरात के साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एंड कश्मीर में मानसून का आगमन होगा. 25 से 30 जून के बीच राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब को कवर करते हुए 30 जून से 5 जुलाई तक पूरे में पहुंच जायेगा.
जून से सितंबर तक चलने वाले इस दक्षिण-पश्चिम मानसून पर खरीफ की फसलों के उत्पादन की स्थिति काफी हद तक निर्भर करती है, इसलिए खेती किसानी के लिए मानसून काफी अहम है. प्री मानसून की बारिश से कई राज्यों में खरीफ फसलों की बुआई आरंभ हो गई है, लेकिन मानसूनी बारिश शुरू होने के बाद ही खरीफ फसलों धान, ज्वार, बाजरा, सोयाबीन, मूंगफली आदि की बुआई में तेजी आने का अनुमान है.
मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट ने 30 मई को मानसून आने की घोषणा की थी लेकिन आईएमडी ने इससे इनकार करते हुए कहा था कि इस तरह की घोषणा के लिए अभी स्थितियां बनी नहीं हैं.