दिल्ली: प्रवासी मजदूरों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम आदेश सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि 15 दिन के अन्दर मजदुरों को उनके गृह राज्य भेजा जाए राज्यो की ओर से मांग होने पर 24 घंटे के अंदर श्रमिक ट्रेन उपलब्ध कराई जाए. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि राज्य हेल्प डेस्क बनाये जो प्रवासी मजदूरों को रोजगार के अवसरों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराए.
इसी के साथ कॉउंसलिंग सेंटर बनाये जाने का आदेश दिया गया है जो मजदुरों को अगर वापस अपने काम की जगह पर जाना चाहते है, तो उसे बारे में जानकारी दे सके. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि अगर प्रवासी मजदूरों के खिलाफ लॉक डाउन उल्लंघन का केस दायर किए गए है तो राज्य उन्हें वापस लेने पर विचार करें.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सभी मजदूरों का रजिस्ट्रेशन जरूरी है. राज्य मजदूरों के लिए रोजगार की स्कीम की जानकारी उपलब्ध कराए.
बता दें, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल जस्टिस एम आर शाह की बेंट ने ये फैसला केंद्र राज्यों का पक्ष सुनने के बाद सुनाया है. इस मामले में फैसला पहले सुरक्षित रख लिया गया था.
बता दें, प्रवासी मजदूरों की बदहाली के मुद्दे पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि अब तक करीब एक करोड़ प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचा दिया गया है. बसों के जरिये 41 लाख तो ट्रेन से 57 लाख मजदूरों को उनके घर भेजा गया है. देशभर में तीन जून तक 4270 श्रमिक ट्रेनें चलाई गई हैं.
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, हमने राज्यों से पूछा है कि कितने मजदूरों को शिफ्ट करने की जरूरत है कितने ट्रेनें चलाई जानी चाहिए. राज्यों ने हमें यह जानकारी दे दी है उसके आधार पर चार्ट बनाया गया है. 171 ट्रेन चलाए जाने की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट ने सभी प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए केंद्र राज्य सरकारों को 15 दिन का वक्त दिया.