रांची: अमर शहीद भगवान बिरसा मुंडा की शहादत दिवस पर आज राजधानी रांची समेत राज्यभर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि यह भगवान बिरसा का उलगुलान ही है जो हर दिन, हर घड़ी हमें अपने अधिकारों की रक्षा करने की शक्ति देता है. उन्होंने कहा कि यह धरती आबा का अबुआ दिशोम अबुआ राज ही है जो झारखण्डवासियों को अपने सम्मान के लिए प्रेरित करता रहता है. आज उन्हीं धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की शहादत दिवस पर शत-शत नमन.
विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं-कार्यकर्ताओं ने भी भगवान बिरसा मुंडा के शहादत दिवस के मौके पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे है. इस दौरान उलिहातु, सईल रकब, रांची जेल और समाधि स्थल पर पहुंच कर भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा है. सोशल डिस्टेसिंग का पालन कर लोग भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे है.
खूंटी के उलिहातु में ही 15 नवंबर 1875 को भगवान बिरसा मुंडा का जन्म हुआ था, अब इस स्थान को विकसित कर दिया गया. घर में बिरसा मुंडा की प्रतिमा लगी है. वहीं सईल रकब यह वह पहाड़ी है, जहां नौ जनवरी, 1900 को बिरसा मुंडा के समर्थकों और अंगरेजों के बीच संघर्ष हुआ था. यह अंतिम लड़ाई थी.
अंगरेजों की फौज ने बिरसा मुंडा के समर्थकों पर गोलियों की बौछार की थी. बड़ी संख्या में मुंडाओं ने शहादत दी थी. डॉ रामदयाल मुंडा ने यहां विशाल स्मारक बनवाया था. जबकि राजधानी रांची के बीच शहर में स्थित रांची जेल में 3 फरवरी, 1900 को हुई गिरफ्तारी के बाद बिरसा मुंडा को रखा गया था. वह कक्ष सुरक्षित है जिसमें उन्होंने 9 जून, 1900 को अंतिम सांस ली थी. अब इस जेल का पुनरुद्धार किया गया है. परिसर में ही बिरसा मुंडा की विशाल प्रतिमा लगी है. राजधानी रांची के कोकर में स्थित समाधि स्थल वह स्थान है, जहां बिरसा मुंडा का अंतिम संस्कार किया गया था. यहां एक छोटी नदी बहती थी जिसके तट पर अंतिम संस्कार किया गया था. अब वहां पर बिरसा मुंडा की भव्य समाधि बनायी गयी है. इन सभी स्थानों पर आज बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों का तांता लगा रहा है.