खास बातें:-
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खुद बिल बनाते हैं अधिकारी और खुद ही करते हैं पास, एक के पास है तीन प्रभार
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चरमराया हुआ है झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग का कैडर मैनेजमेंट
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आरोपों पर घिर सकते हैं नियामक आयोग के अध्यक्ष, बैक डेट से फाइलें निपटाने का मामला
रांचीः झारखंड के 40 लाख बिजली उपभोक्ताओं का हित चाहने वाला आयोग अब खुद उपभोक्ताओं का अहित कर रहा है. यूं कहें कि आयोग का कैडर मैनेजमेंट पूरी तरह से चरमरा गया है.
हाल यह है कि पिछले डेढ़ साल से लेखा पदाधिकारी और सचिव का पद खाली है. ऐसे में आयोग के विधि अधिकारी को लेखा पदाधिकारी और सचिव दोनों का प्रभार दे दिया गया है.
अब लेखा पदाधिकारी होने के नाते बिल बनाने का काम होता है और सचिव के प्रभार में होने के नाते खुद बिल भी पास करना होता है. ऐसे में आयोग की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. चूंकि सचिव ही निकासी और व्यनन पदाधिकारी होता है. पिछले एक साल से आयोग के विधि अधिकारी तीन प्रभार में हैं.
निगम पर भी आयोग रहा मेहरबान-
झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग के झारखंड राज्य बिजली वितरण निगम पर भी मेहरबान होने का आरोप है. साथ ही डीवीसी के टैरिफ का भी मामला सामने आ रहा है.
आयोग को जब निगम ने 6 रुपए प्रति यूनिट बिल दर का प्रस्ताव दिया था तब आयोग ने एक कदम आगे बढ़कर 6.25 रुपए प्रति यूनिट कर दिया गया. इससे 40 लाख उपभोक्ताओं पर अतिरक्त बोझ बढ़ा. इसको लेकर प्रदर्शन भी हुआ.
अब एसीबी जांच की तैयारी-
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अब आयोग में हुई अनियमितता के खिलाफ एसीबी जांच की तैयारी की जा रही है. जिससे कई अनियमितताओं के उजागर होने की संभावना है. सूत्रों के अनुसार अब भी आयोग में बैक डेट से फाइलों का निपटारा किया जा रहा है.