नई दिल्ली: लद्दाख की गलवान घाटी में सीमा पर हुई हिंसक झड़प के बाद भारत ने तीन मोर्चे पर घेराबंदी तेज कर दी है. भारतीय सैनिक जहां एलएसी पर चीन को उसकी गुस्ताखी का जवाब दे रहे हैं.
वहींं कूटनीतिक मोर्चे पर भी भारत चीन को करारा जवाब दे रहा है. इन सबके बीच भारत ने दुनिया का चौधरी बनने की चाहत रखने वाले चीन पर आर्थिक प्रहार भी तेज कर दिया है.
देश में चीन विरोधी लहर एक बार फिर तेज होती जा रहा है. बड़ी तादाद में लोग चीनी सामान के बहिष्कार और इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं.
गलवान घाटी में चीनी कारगुजारी के बाद केंद्र सरकार भी सख्त नजर आ रही है और पीठ पर छूरा घोपने वाले चीन के खिलाफ सख्त कदम उठानें में जुटी है.
चीन को हर मोर्चे पर करारा जवाब देने के लिए सरकार लगातार इसपर मंथन कर रही है. चीन को आर्थिक मोर्चे पर जवाब देने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं.
केंद्र सरकार ने भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) को कहा है कि वह अपग्रेडेशन के लिए चीन में निर्मित सामान का इस्तेमाल न करे. इसी कड़ी रेलवे ने भी कड़ा फैसला लिया है. रेलवे ने चीनी कंपनी से 4 साल पुराना 471 करोड़ रु का कॉन्ट्रैक्ट कैंसल कर दिया है.
हालांकि रेलवे ने इसके लिए चीन की धीमी रफ्तार से काम को जिम्मेदार बताया है. रेलवे उपक्रम डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कारपोरेशन लिमिटेड ने चीनी फर्म बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट ऑफ सिग्नल एंड कम्युनिकेशन कंपनी लिमिटेड के साथ चल रहे अपने चार साल पुराने कॉन्ट्रैक्ट को खत्म कर दिया है. इसके बाद चीनी कंपनी को बड़ा नुकसान होने की आशंका भी जताई जा रही है.
आपको बता दें कि ट्रेनों में इस्तेमाल होने वाला ज्यादातर सामान विदेशों ये ही मंगाया जाता है और इसमें से अधिकतर सामान का चीन से आता है. भारत में हर साल सात से आठ हजार रेलवे कोच बनते हैं, जिनमें इन सामानों का इस्तेमाल होता है.
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक संघर्ष के बाद देश में चीनी उत्पादों के बहिष्कार की मांग जोर पकड़ती जा रही है. लद्दाख संघर्ष में भारत के 20 सैनिकों को जान गंवानी पड़ी थी, दूसरी ओर खबरों के मुताबिक चीन के भी करीब 43 सैनिकों की इस संघर्ष में मौत हुई है.