जगदम्बा प्रसाद शुक्ल
प्रयागराज: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस एवं वरिष्ठ साहित्यकार स्वर्गीय डॉ नरेश कुमार गौड़ अशोक के जन्मदिवस के अवसर पर काव्य रस समूह द्वारा ऑनलाइन काव्य गोष्ठी एवं विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें, कवियों ने अपनी कविताये प्रस्तुत किया. प्रारंभ में डॉ गौड़ के व्यक्तित्व व कृतित्व पर विस्तार से चर्चा की गई. कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे स्वामी कल्पनेश ने डॉ गौड़ के साथ बिताए हुए दिनों की चर्चा किया तो जे पी शुक्ल ने अपने संचालन में मंचों पर उनके द्वारा पढ़े गए प्रमुख गीतों को दोहराकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया.
डॉ अनिल शर्मा ने अपनी रचना विश्व सारा मान रहा योग के महत्व को, इससे पा सकता मनुष्य भी देवत्व को तथा सुधाकांत मिश्र बेलाला ने जो हैं विशेष उनकी स्मृति शेष त्यौहार बन जाती है प्रस्तुत किया। डॉ भगवान प्रसाद उपाध्याय ने अधरों का संबंध गीत से बहुत पुराना है तथा बैजनाथ मिश्र ने अपनी कविता जिसको मित्र बनाया हमने अरि सा सिर चढ़ बोला सुनाया। डॉ नीलिमा मिश्रा ने पितृ दिवस के अवसर पर अपनी रचना मां होती है पावन गंगा जैसी पिता समुंदर होता है तथा डॉ त्रिलोकी सिंह ने जीवन जीना आज कठिन क्यों लगता है, अपना ही प्रतिबिंब मुझे क्यों छलता है प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में प्रेम सिंह राजावत, बलबीर सिंह, बृजेश पाण्डेय, आलोक मिश्र मुकुंद आदि ने भाग लिया.