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झारखंड के मुख्य न्यायाधीश को शुक्ल ने पत्र लिखा, दी जानकारी
रांची: झारखंड स्टेट बार कौंसिल के वाईस चेयरमैन और वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश कुमार शुक्ल ने कहा है पूरे झारखंड में अधिवक्ताओं को कठिन परिस्थितियों से जूझना पड़ रहा है.
कोरोना जैसे वैश्विक महामारी में जहां कानूनी व्यवसाय पूरी तरह प्रभावित हो गया है. वहीं बार भवन बंद रहने से इस बरसात के मौसम में अधिवक्ताओं को बैठने में और अपने कार्यों का निष्पादन में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है.
वर्चुअल कोर्ट होने से अधिकांश अधिवक्ताओं को असुविधा हो रही है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले अधिवक्ताओं को काफी परेशानी हो रही है.
शुक्ल ने झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर झारखंड में अधिवक्ताओं को हो रही कठिनाई से अवगत कराते हुए बार भवनों को पूरा सुरक्षा के साथ खोलवाने का आग्रह किया है, ताकि बरसात में अधिवक्ताओं को अपने कार्य निष्पादन में कठिनाई न हो.
उन्होंने कहा है कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में अधिवक्ता भी जागरूक है तथा लोंगो को जागरूक कर रहे है. ऐसे में सामाजिक दूरी, शारिरिक दूरी के साथ अधिवक्ताओं को बैठने के बारे में व्यवस्था किया जा सकता है, और मुवक्किल से बार भवन के बाहर सामाजिक दूरी के साथ मिलने की व्यवस्था कराई जा सकती है. कौंसिल की तरफ से पहले भी आग्रह किया जा चुका है.
शुक्ल जो अखिल भारतीय अधिवक्ता कल्याण समिति के भी राष्ट्रीय महामंत्री है. मुख्य न्यायाधीश को लिखा है कि राज्य में विभिन्न जिलों में कार्यपालिका न्यायालय, खासकर उपायुक्तों, अनुमंडल पदाधिकारियों के साथ साथ उपभोक्ता संरक्षण फोरम, बन्दोबस्ती न्यायालय खुल चुके है, उनका न्यायालय चल रहा है ऐसे में अधिवक्ताओ को बेहतर बैठने की व्यवस्था आवश्यक है ताकि वे न्यायिक कार्यो में हिस्सा ले सके.
उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह से भी मिलकर आग्रह किया है कि राज्य में अधिवक्ताओं को बेहतर सुविधा सुलभ कराई जाये ताकि वे कार्यपालिका न्यायालय को विभिन्न मामलों में सहयोग कर सके.
उन्होंने इस बात पर नाराजगी जताई कि इस कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में अधिवक्ताओं के बारे में सरकार ने तनिक नहीं सोचा, न उनकी कठिनाइयों पर ध्यान दिया. जबकि स्वतंत्रता संग्राम से लेकर अधिवक्ता राष्ट्रीय चुनौतियों के समाधान में अग्रणी भूमिका निभाते रहे है.
शुक्ल ने कहा है कि वे शीघ्र ही राज्य के मुख्य न्यायाधीश, राज्यपाल, और मुख्यमंत्री से मिलेंगे तथा इन कठिनाइयों की विस्तृत जानकारी देंगे. उन्होंने कहा है कि बार कौंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन कुमार मिश्र ने और झारखंड स्टेट बार कौंसिल ने पूर्व में भी केन्द्र और राज्य सरकार को पत्र लिखकर अधिवक्ताओं के लिए आर्थिक पैकेज की मांग किया है.
लेकिन अभी तक उसके प्रतिफल सामने नहीं आये है. कई राज्यों में राज्य सरकारों ने अधिवक्ताओं को पैकेज दिया है. झारखंड में अन्य राज्यों की तरह कोई आर्थिक पैकेज या बजट में प्रावधान नहीं किया गया. जिससे राज्य के अधिवक्ताओं में गहरा असंतोष है. सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए.