रांची: खरीफ को लेकर कृषि विभाग ने किसानों को कई तरह की सलाह दी है. मॉनसून में वर्षा जल को रोकने के लिए कदम उठाने के साथ पौधा लगाने को प्रोत्साहित किया है. इसके अलावा पौधों के बीच में खाली जगह में अन्य फसल लगाने की सुझाव दिया है. किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) लेने के लिए आगे आने की बात भी कही है.
विभाग ने कहा है कि खरीफ मौसम प्रारम्भ हो चुका है. कहा जाता है कि जल ही जीवन है. किसान पानी के अभाव में पूरे वर्ष खेती नहीं कर पाते है. सभी किसान जनसहभागिता के द्वारा वर्षाजल को गांवों में निर्माण किये गये तालाब, पोखर आहर आदि में इकट्ठा करें, तो निश्चित रूप से सालों भर विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जा सकती है.
इससे पेयजल की समस्या भी दूर हो सकती है. यह समय वृक्षारोपण के लिए भी उचित है. सभी प्रखंडों में बिरसा हरित ग्राम योजना अन्तर्गत वृक्षारोपण का कार्य कराया जा रहा है. पौधों को कम से कम 25 फीट की दूरी पर 3x3x3 फीट के आकार का गड्ढा खोदकर उसमें सड़ा हुआ गोबर कम्पोस्ट खाद और उवर्रक डालकर पौधो को लगाये, जिससे पौधों की बढ़वार अच्छी हो सके.
पौधों के बीच में खाली स्थान में दलहन, तेलहन, सब्जी आदि की खेती अवश्वे रूप से करें, जिससे उस जमीन से त्वरित लाभ मिल सके. उसके साथ ही ट्रेंच कम बंड, फील्ड बंडिग, एवं नाला पुर्नजीवन आदि का कार्य कराया जा रहा है. ये सभी योजनाएं मिट्टी के कटाव एवं जल संरक्षण के लिए अत्यधिक उपयोगी है. इन योजनाओं में गांव के युवक श्रमदान कर गुणवत्ता में सुधार कर सकते है. ट्रेंच कम बंड बनाया जा रहा है. बंड पर अरहर, नींबू एवं पपीता के पौधों को लगाया जा सकता है, जिससे आय में वृद्धि हो सके तथा मिट्टी कटाव को रोका जा सके.
वर्तमान में किसानों को वैज्ञानिक खेती और समेकित कृषि प्रणाली अपनाने हेतु पीएम किसान से लाभान्वित किसानों को केसीसी प्रदान किया जा रहा है. जो किसान अभी तक केसीसी नहीं ले पाये है, वे अपने प्रखण्ड के प्रखण्ड कृषि पदाधिकारी, प्रखण्ड तकनीकी प्रबंधक से सम्पर्क कर शीघ्र अपना आवेदन पत्र बैंको को भिजवा दें, जिससे उन्हें केसीसी प्रदान किया जा सके. वर्तमान में पीएम किसान लाभुकों के लिए एक पन्ने का सरलीकृत फार्म में आवेदन किया जाना है, जिसे बैंक शाखा अथवा प्रखण्ड के तकनीकी प्रबंधक से प्राप्त किया जा सकता है.
इस योजना का लाभ जिले के प्रवासी मजदूर भी ले सकते हैं. किसान को खेती के अलावा गाय पालन, मछली पालन, सूकर पालन, मुर्गी पालन, आदि के लिए भी बैंको के माध्यम से केसीसी प्रदान किया जा रहा है. इस क्षेत्रों में किसान केसीसी लेकर समेकित कृषि प्रणाली अपना सकते है.