रांची: राज्य में 20 जुलाई तक 19 जिलों में औसत से कम बारिश हुई है. इसे लेकर बीएयू के जाने-माने शस्य विशेषज्ञ और डीन एग्रीकल्चर डॉ एमएस यादव ने धान फसल की रोपाई में देरी होने की बात कही है.
उन्होंने बहुत या कम बारिश की स्थिति में किसानों को जुलाई व अगस्त महीने तक धान की रोपाई करने को कहा है. किसानों को धान रोपा वाले खेत को अच्छी तरह जोतकर मिट्टी को खुला छोड़ने तथा खेतों के मेढ़ को दुरूस्त करने की जरूरत बताई है. ताकि खेतों में बढ़िया जल-जमाव हो सके और खेतों में खर-पतवार भली-भांति सड़ जाए.
उन्होंने कहा है कि धान का बिचड़ा 30 दिनों का होने और खेतों में कादो करने लायक पानी जमा नहीं होने की स्थिति में, आगामी दिनों में ऊपरी जमीन से वर्षा के पानी का बहाव से रोपा खेतों में पानी जमाकर रोपा शुरू करें.
उन्होंने एक महीना से पुराने बिचड़े के ऊपरी 10 से. मी. हिस्सा को काटकर तथा बिचड़ों की जड़ को 2 ग्राम डीएपी एवं 2 ग्राम एमओपी प्रति लीटर घोल में डालकर रातभर रखकर सुबह धान का रोपा करने की सलाह दी.
धान की रोपाई के लिए कतार से कतार की दूरी 20 से. मी. तथा पौध से पौध की दूरी 10 से. मी. रखने और 4 बिचड़ा प्रति स्थान रोपाई करने का परामर्श दिया है.
धान का बिचड़ा उपलब्ध या तैयार नहीं होने की स्थिति में किसानों को धान की सीधी बोआई करने को कहा. इसमें कम अवधि वाली किस्मों में बिरसा विकास धान -110, बिरसा विकास धान-111, वंदना, ललाट, नवीन, सहभागी, आईआर- 64 (डीआरटी -1) में से किसी एक किस्म का चुनाव कर बोआई करने को कहा.
सीधी बोआई के लिए एक एकड़ में 40 किलो धान बीज का प्रयोग करने को कहा. साथ ही खेतों में खर-पतवार नियंत्रण के लिए बोआई के 2-3 दिनों के बाद खर-पतवार नाशी दवा प्रेटिलाक्लोर का 4 मिली लीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करने को कहा है.