करो निज जीवन का बलिदान
जन्मभूमि के लिए करो निज जीवन का बलिदान जागो वीरो ! तुम्हें जगाता वयोवृद्ध हिमवान् ।।
नहीं अर्चना की यह वेला , छोड़ो भोग – विलास , प्रलय मचाने को उद्यत है , डोल रहा कैलास । गंगा – यमुना की लहरें , कर रहीं क्रान्ति का गान , जन्मभूमि के लिए करो निज जीवन का बलिदान ।।
कुरुक्षेत्र , हल्दी घाटी में , आयी नयी उमंग , वीर शिवाजी जागो ! देखो छिड़ा भयंकर जंग । जागो भीम करो अर्जुन ! दुश्मन पर शर – संधान , जन्मभूमि के लिए करो निज जीवन का बलिदान ।।
आतंकी सेना बढ़ आयी है नंदन वन की ओर , बढ़ो इंद्र छोड़ो अपना वह वज कराल कठोर । छद्मवेश में राहु चाहता , करना अमृत पान , जन्मभूमि के लिए करो निज जीवन का बलिदान ।।
झनक रही तलवार म्यान में लगी खून की प्यास , रहा तुम्हें ललकार देख लो वीरों का इतिहास । जननी का अपमान सहे क्यों ऋषियों की संतान , जन्मभूमि के लिए करो निज जीवन का बलिदान ।।
विधामर्तण्ड परिक्षित मंडल प्रेमी विद्यावारिधि