कपिल मिश्रा उत्तर-पूर्वी दिल्ली के करावल नगर से आम आदमी पार्टी के विधायक थे। कभी अरविंद केजरीवाल के करीबियों में शुमार कपिल मिश्रा आम आदमी पार्टी सरकार में मंत्री भी रहे, लेकिन मई 2017 में उनको मंत्री पद से हटा दिया गया था। अब अयोग्य घोषित होने के साथ उनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त हो गई है। दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल द्वारा विधायक के पद से अयोग्य घोषित किए जाने के खिलाफ दिल्ली के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया है। अयोग्यता पर सवाल उठाते हुए कपिल मिश्रा ने याचिका दायर कर फैसले को रद करने की मांग की है। इस मामले में कपिल मिश्रा की तरफ से एडवोकेट श्री अश्वनी दुबे जी ने याचिका दायर की हैं।
कपिल मिश्रा की याचिका के मुख्य बिंदु
- अध्यक्ष महोदय ने लॉ ऑफ नेचुरल जस्टिस के खिलाफ जाकर निर्णय सुनाया
- एक असंवैधानिक याचिका पर सुनवाई करके अध्यक्ष ने अपनी संवैधानिक शक्तियों का दुरुपयोग किया
- विधानसभा की शक्तियों के दुरुपयोग का मामला
- विधानसभा अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और गाइड लाइन्स का उल्लंघन किया
- विधानसभा अध्यक्ष ने सुनवाई के मौका नहीं दिया, क्रॉस एक्जामिनेशन का मौका नहीं दिया और गवाह तथा तथ्य रखने का मौका नहीं दिया
- 27 जनवरी को जिस तारीख से विधानसभा अध्यक्ष ने सदस्यता रद्द करने का निर्णय दिया, उसके बाद सदन का बजट सत्र भी हुआ था, जिसमे कपिल मिश्रा ने विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा भी लिया और सदन में सरकार को गिराने या व्हिप का उल्लंघन करने की कोई नीयत नहीं दिखाई।
- कुल मिलाकर हाइकोर्ट से ये निवेदन किया गया हैं कि विधानसभा अध्यक्ष के गैरकानूनी फैसले को निरस्त कर दिया जाए।
गौरतलब है कि 2 अगस्त को दिल्ली के आम आदमी पार्टी के बागी विधायक कपिल मिश्रा को शुक्रवार को अयोग्य घोषित कर दिया गया था। दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने उन्हें विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया था। कपिल मिश्रा पर आरोप है कि लोकसभा चुनाव 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोबारा पीएम बनाने के लिए उन्होंने अभियान चलाया था।