- वरीय आइएएस रिटायर हो गईं, पर झारखंड में नहीं दिया योगदान
- सीएस रैंक के अफसर राजीव कुमार भी दिल्ली में तैनात, प्रतिनियुक्ति की अवधि हो गई समाप्त
- जांच के घेरे में हैं अपर मुख्य सचिव से लेकर डीसी रैंक तक के अफसर
- एक साल से ड्यूटी से गायब रहने वाले आईएएस अफसर बाघमार भी विभागीय कार्रवाई में पाए गए हैं दोषी
रांची: झारखंड कैडर का आईएएस महकमा भी विवादों से अछूता नहीं रहा है। कभी अपने में उलझे तो कभी सरकार से भी ठनी। वहीं सरकार ने कई मामलों पर ब्यूरोक्रेसी पर शिकंजा भी कसा। कई मंत्रियों की शिकायत रही कि सचिव उनकी बातों को नहीं सुनते। दो मंत्री भी विभागीय सचिव से आमने-सामने हो गए। उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त डॉ नितिन मदन कुलकर्णी व हजारीबाग के तत्कालीन डीसी मनीष रंजन के बीच भी विवाद रहा। मामला राजभवन तक पहुंचा। फिर हजारीबाग के तत्कालीन डीसी सुनील कुमार पर एनपीटीसी के अफसरों की पिटाई का आरोप लगा। जिस पर विभागीय कार्रवाई चल ही रही है। कोडरमा के तत्कालीन डीसी छवि रंजन पर पेड़ कटाई का आरोप लगा।
आइएएस ज्योत्सना अपने कैडर में वापस नहीं आई
राज्य की पहली महिला आईएएस अफसर ज्योत्सना वर्मा रे बर्खास्त तो हो गयीं, लेकिन उन्होंने 2011 से 2019 तक अपनी संपत्ति का विवरण नहीं दिया । अब कार्मिक विभाग ज्योत्सना वर्मा रे से संपत्ति का विवरण मांग रहा है। कई बार रिमाइंडर भी भेजा गया, लेकिन उसका जवाब अब तक कार्मिक विभाग को नहीं मिला है। ज्योत्सना वर्मा रे 1992 बैच की आईएएस अफसर हैं। वह मनीला में विश्व बैंक में प्रतिनियुक्ति में थीं. प्रतिनियुक्ति की अवधि समाप्त होने के बाद भी वह वहीं बनी रहीं। इसी वरीय आइएएस अफसर डॉ स्मिता चुग रिटायर हो गईं, पर वह झारखंड नहीं आई। अपर मुख्य सचिव रैंक के अफसर राजीव कुमार भी प्रतिनियुक्ति की अवधि खत्म होने के बाद भी दिल्ली में ही तैनात हैं।
आइएएस अफसरों के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी
आलोक गोयल: 1990 बैच के अफसर आलोक गोयल पर वित्तीय अनियमितता की रिपोर्ट केंद्र को भेज दी गई है। सूत्रों के अनुसार, पूरी आॅडिट रिपोर्ट भी केंद्र को भेजी गई है। गोयल वतर्मान में झारखंड भवन नई दिल्ली में ओएसडी के पद पर पदस्थापित हैं।
अरूण कुमार सिंह: अपर मुख्य सचिव रैंक के अफसर अरूण कुमार सिंह पर देवघर जमीन घोटाला मामले में स्पष्टीकरण भी पूछा गया। वर्तमान में अरूण कुमार सिंह जल संसाधन विभाग में अपर मुख्य सचिव हैं।
बाघमारे कृष्णा प्रसाद: एक साल से ड्यूटी से गायब रहने वाले आईएएस अफसर बाघमारे प्रसाद कृष्णा भी विभागीय कारर्वाई में दोषी पाये गये हैं। सूत्रों के अनुसार इस पर सरकार जल्द आरोप तय करेगी. विभागीय कारर्वाई के संचालन पदाधिकारी अपर मुख्य सचिव इंदू शेखर चतुर्वेदी ने जांच रिपोर्ट कार्मिक को सौंप दी है।
मनोज कुमार: गैर सेवा से आईएएस बने मनोज कुमार जांच के दायरे में हैं। इनके सीआर पर भी प्रतिकूल टिप्पणी भी की गई है। 2003 से 2009 तक का सीआर एक ही बार दे दिया। नियमत: हर साल सीआर देने का प्रावधान है। यही नहीं 2003-09 तक का जो सीआर मनोज कुमार ने दिया, वह सिर्फ एक ही पन्ने का था। एक ही तारीख में यह सीआर बनाकर दिया गया।
सरकार और आइएएस अफसरों के बीच भी ठनी
केस नंबर एक : सीएमओ और एसके सत्पथी के बीच ठनी
21 खनिज खदानों के रद्द करने के मामले में तत्कालीन खान सचिव एसके सत्पथी अड़े रहे. सीएमओ ने कई बार खदानों के लीज नवीनीकरण के लिये कमेटी बनायी. सभी ने रद्द करने की अनुशंसा की। इससे बाद फिर से खान विभाग पर समीक्षा के लिये दबाव बनाया गया. खान सचिव अड़े रहे और 18 खनिज खदानों के लीज रद्द करने की अनुशंसा कर दी। .
केस नंबर टू: रंधीर सिंह और कुलकर्णी हो गए आमने-सामने
मंत्रियों की भी आपत्ति रही कि सचिव उनकी बातों को नहीं सुनते हैं। कृषि मंत्री रंधीर सिंह और तत्कालीन कृषि सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी के बीच ठनी। कृषि की कई योजनाओं को जल्द से जल्द लागू कराने को लेकर दोनों के बीच नहीं बनी। इस कारण कुलकर्णी को बदल दिया गया।
केस नंबर थ्री: पूर्व मंत्री चंद्रप्रकाश और एपी सिंह के बीच नहीं बनी
पूर्व पेयजल मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी और पेयजल सचिव एपी सिंह के बीच ठनी रही। ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं को लेकर मंत्री ने कई बार पीत पत्र भी लिखा। इसके बाद एपी सिंह को स्कूली शिक्षा विभाग का सचिव बनाया गया।
केस नंबर फोर: सीएमओ और रहाटे अडानी पावर को लेकर हो गए आमने सामने
अडाणी पावर के बिजली देने के मामले में तत्कालीन ऊर्जा सचिव एसकेजी रहाटे और सीएमओ आमने-सामने हो गए। इसके बाद रहाटे एक माह की छुट्टी पर चले गए। फिर उन्हें ऊर्जा से हटाकरश्रम विभाग में तबादला कर दिया गया।श्रम विभाग से हटाकर उन्हें गृह विभाग की जिम्मेवारी सौंपी गई थी।