ब्यूरो चीफ
रांची
झारखंड में अब शासन में पारदर्शिता भी सामने दिखने लगी है. राज्य सरकार केंद्र प्रायोजित योजना समेत अपनी योजनाओं का लाभ सीधे लाभुकों तक पहुंचा रही है. झारखंड अलग राज्य बनने के बाद जो चीजें सरकार की तरफ से पेन और पेपर के जरिये क्रियान्वित की जाती थी, उसे अब ऑनलाइन कर दिया गया है. पेंशन की राशि, किसानों को सहायता अनुदान, छात्रवृत्ति का भुगतान सब कुछ ऑनलाइन कर दिया गया है. बैंक खातों में प्रत्यक्ष नगद भुगतान (डीबीटी) के जरिये योजनाओं से जुड़ी राशि का लाभ लाभुकों तक पहुंचने लगा है. सबसे बेहतर काम सामाजिक सुरक्षा पेंशन में किया गया.
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राज्य भर में 11 लाख पेंशनधारी हैं. इन्हें अब नियमित रूप से उनके बैंक खातों में पेंशन की राशि हस्तांतरित की जा रही है. इसमें वृद्धा पेंशन, वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन और अन्य शामिल है. इतना ही नहीं राज्य के बाहर उच्च शिक्षा पा रहे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों को भी सरकार ऑनलाइन छात्रवृत्ति की राशि का भुगतान कर रही है. प्रत्येक वर्ष छात्रवृत्ति के भुगतान में एक हजार करोड़ रुपये से अधिक का खर्च सरकार की तरफ से किया जाता है. इसके लिए कल्याण विभाग में अलग से सेल गठित की गयी है, जो नियमित रूप से छात्रवृत्ति की राशि लाभुकों के खाते तक पहुंचाने की दिशा में काम कर रही है.
सरकार ने मुख्यमंत्री कृषि आर्शीवाद योजना का पैसा भी लाभुकों को देने का किया काम
राज्य सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री कृषि आर्शीवाद योजना का पैसा भी लाभुक किसानों के खाते में ही ट्रांसफर करने की शुरुआत की है. इस योजना के पहले चरण में 482 करोड़ रुपये हस्तांतरित किये गये. सरकार प्रति एकड़ पांच हजार और इसके गुणक में राशि हस्तांतरित कर रही है. प्रधानमंत्री कृषि सहायता योजना की छह हजार की किश्त भी लाभुक किसानों के खाते में दो-दो हजार रुपये की शक्ल में तीन बार दी जा रही है. सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री कृषि आर्शीवाद योजना के तहत सीमांत और लघु किसानों को तीन हजार करोड़ रुपये दिये जायेंगे. ऐसे 35 लाख किसानों का चयन किया जायेगा. इतना ही नहीं पहले चरण में 15 लाख से अधिक किसानों के बीच पहली किश्त का वितरण किया जा चुका है.
बिजली सब्सिडी भी खाते में ही
सरकार की पहल पर घरेलू और व्यावसायिक बिजली उपभोक्ताओं को सब्सिडी की राशि भी उनके खाते में ही हस्तांतरित की जा रही है. राज्य भर में 29 लाख घरेलू बिजली के कंज्यूमर हैं. इसके अलावा वाणिज्य कर विभाग की तरफ से औद्योगिक नीति के तहत उद्योगों को मिलनेवाली रियायत की राशि भी डीबीटी के माध्यम से साकार की जा रही है.