रांची:- आदिवासी पहचान के लिए टाटा स्टील फ़ाउंडेशन द्वारा आयोजित किया जाने वाला अपनी तरह का एक इकोसिस्टम ‘संवाद’ वर्ष 2020 में 15 नवंबर से शुरू हो रहा है. यह इस वार्षिक सम्मेलन सातवां संस्करण है, जो 19 नवंबर तक चलेगा. इस वर्ष बातचीत और जश्न डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर हो रहा है.
‘संवाद’ इकोसिस्टम ने पिछले 6 वर्षों में भारत के 27 राज्यों और 18 देशों से 117 जनजातियों के 30,000 से अधिक लोगों को एक साथ लाया है, और यह एक ऐसा इवेंट है, जिसका जमशेदपुर के नागरिकों को बेसब्री से इंतजार रहता है. इस वर्ष का विषय ’कमिंग टूगेदर फॉर सोशल चेंज’ है. ‘सामाजिक बदलाव के लिए एक साथ आाने’ की यह अवधारणा एक विश्वास का प्रतिनिधित्व करती है कि आदिवासीवाद के कई निहित पहलू हैं, जो समाज के अंतस्थ मूल्य के रूप में निर्बाधता को कायम रखते हैं, और आदिवासी समुदायों की मूल विकास चुनौतियों को सकारात्मक तौर पर प्रभावित करने के लिए उनके अद्भुत कहानियों के अनमोल सबक को साथ लाते हैं.
टाटा स्टील कॉर्पोरेट सर्विसेज के वाईस प्रेसिडेंट चाणक्य चौधरी ने कहा, “पिछले वर्षों में ‘संवाद’ एक आशाजनक मंच के रूप में उभरा है, जो आदिवासी संस्कृति को पुनर्जीवित, संरक्षित और प्रोत्साहित करना चाहता है. हमें इस प्रयास का एक हिस्सा होने पर गर्व है, जो कई रूपों और अभिव्यक्तियों में जनजातीय पहचान को रेखांकित करता है और जनजातीय जीवन से अभिन्न रूप से जुड़े उनकी संस्कृति, संगीत, ज्ञान तथा लोक कथाओं के समृद्ध इतिहास व खजाने का उत्सव मनाता है. टाटा स्टील परिवार की ओर से, मैं सभी गणमान्य व्यक्तियों, प्रतिभागियों और आदिवासी समुदाय का 2020 के इस संस्करण में हमारे साथ जुड़ने और इसे सफल बनाने के लिए स्वागत करता हूं.”
सौरव रॉय, चीफ, कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी, टाटा स्टील ने कहा, “संवाद एक प्रयास है, जो एक मूल धारणा कि ‘हमारे जनजातियों के जीवन का तरीका हमारे समय की कुछ सबसे चुनौतीपूर्ण चुनौतियों का समाधान देता है’ के आसपास केंद्रित है और इसलिए हम मानते हैं कि अन्यथा अनिश्चित समय में बातचीत, उत्सव और चिंतन की इस यात्रा को जारी रखने की जिम्मेदारी हमारी है. और, अब हम आपके लिए संवाद-2020 पेश कर रहे हैं, जो एक प्रारूप में ऑनलाइन तो है, लेकिन यह भारत और बाहर के 100 से अधिक जनजातियों और 2,000 से अधिक लोगों को जोड़ने के लिए समुदाय-संचालित जुड़ाव के विकेन्द्रीकृत बिंदुओं से परिपूर्ण है. पिछले छह महीनों में विकसित हुए नए परिप्रेक्ष्य में इस वर्ष का विषय विशेष रूप से प्रासंगिक है, और संभवतः निकट भविष्य में भी जारी रहेगा.