ज्योत्सना
खूंटी
झारखंड में भौगोलिक आधार पर पर्व त्योहार, कला संस्कृतियों में कुछ न कुछ भिन्नताएं होती हैं. ऐसा ही एक इलाका है राजधानी रांची से सटा बुण्डु तमाड़ का इलाका, जिसे पंचपरगनिया इलाका कहा जाता है. यहां इन दिनों मनसा पूजा की धूम है. मनसा पूजा में सांप को पूरे आस्था और विश्वास के साथ देवीतुल्य पूजा जाता है. इन दिनों पूरे पंचपरगनिया बूण्डु तमाड़ इलाके में जहरीले सांपों को पकड़ा जाता है और अपने पूरे शरीर में जहरीले सांपों को भक्तगण लपेटते है. सांपों का करतब भी दिखाते हैं. कई बार सांप लोगों को काटता भी है लेकिन ऐसी मान्यता है कि मनसा पूजा के दरम्यान विशेष मन्त्र और खास तरह की सर्पदंश जड़ी-बूटी लोग धारण करते हैं, जिससे सांप के काटने से भी विष शरीर में नहीं फैलता. यहां तक कि कुछ लोग सांप को बड़े प्यार से मुंह में भी डालते नजर आते हैं.
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नाग सांप को मनसा मां की सवारी माना जाता है इसलिए मनसा मां की प्रतिमा में नाग सांप भी बनाया जाता है. सर्पदेवी के पर्व को लेकर लोगों में काफी उत्साह रहता है. लोग पूरे धूमधाम से जहरीले सांपों को पिटारे में लेकर नाचते गाते हैं.कई भक्तगण मनसा पूजा में अपने गालों में, पेट मे, छाती में तार के त्रिशूल को आर पार कर देते है. बातचीत करने पर कहते है कि मनसा मां की कृपा से त्रिशूल तार को शरीर में आर-पार करने से किसी प्रकार की कोई क्षति नहीं होती है, न ही कोई भक्त ऐसा करने से बीमार होता है. जबकि अन्य दिनों में इस तरह करने से टेटनस हो जाता है. कई लोग मर जाते हैं. लेकिन मनसा पूजा के दौरान किसी को भी कोई शारीरिक क्षति नही पहुंचती है. मनसा पूजा की आस्था पूरे बुण्डु तमाड़ इलाके में देखी जाती है. मनसा पूजा में निर्जला उपवास भी रखा जाता है.
भादो के महीने में आस पास के सभी जहरीले सांपों को मन्त्र के सहारे एकत्रित किया जाता है. फिर मनसा मां की खूबसूरत प्रतिमा बंगाल के कारीगरों से बनवाई जाती है. मनसा मां की प्रतिमा में नाग सांप भी बनाया जाता है. मनसा पूजा करने वाले भक्त पूजा के दरम्यान दो दिनों का उपवास रखते है. पूरे आस्था और विश्वास के साथ मनसा मां की पूजा की जाती है. बड़े-छोटे, युवा वृद्ध सभी इस त्योहार में शरीक होते है. पकड़े गए सभी सांपों को पूजा के दूसरे दिन मेले के बाद जंगलों में मन्त्र के साथ छोड़ दिया जाता है. ऐसी मान्यता है कि मनसा पूजा से जहरीले सांप भी दोस्त बन जाते हैं और जहरीले सांप भी प्रसन्न होकर अपनी नृत्य कला से दर्शकों को मन मोह लेते हैं. पंचपरगनिया इलाके में सांपों को पकडने और फिर जंगलों में छोड़ने का सिलसिला पुरातन काल से चला आ रहा है. गहमन, चिपी, नाग-नागिन और अजगर जैसे जहरीले सांपों से मित्रतापूर्ण व्यवहार करना पंचपरगनिया की आस्था और सांस्कृतिक विभिन्नता को दर्शाता है.