ब्यूरो चीफ
रांची
झारखंड में एसी स्लीपर बसों का परिचालन नियम विरुद्ध हो रहा है. केंद्र सरकार के सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स के एआइएस कोड 119 के तहत 28 सितंबर 2016 को स्लीपर बस के निर्माण को लेकर शर्तें तय की थी. एसी बस के लिए दो तरह की श्रेणी तय की थी, जिसमें 12 मीटर इसकी लंबाई होने और 15 स्लीपर तथा 31 बैठने की सीटें होना अनिवार्य किया गया है. कोड के तहत 61 सीटों के लिए बस का रूट परमिट और लाइसेंस जारी करने के नियम बनाये गये हैं. झारखंड में चलनेवाले अधिकतर एसी स्लीपर बस और नन स्लीपर बसों का परिचालन 2005 और उसके बाद से हो रहा है. इनके परमिट कहां से जारी किये गये अथवा इनके लाइसेंस किस जिले से निर्गत किये गये, यह भी एक रहस्य बना हुआ है, पर रांची-पटना, रांची-कोलकाता, रांची-दुमका, रांची-गया, रांची-औरंगाबाद, रांची-सासाराम, रांची-वाराणसी रूट तथा अन्य जगहों पर इन बसों का नियमित परिचालन हो रहा है.
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दिल्ली, चंडिगढ़, लुधियाना, बेंगलूरू में बनते हैं बसों की बॉडी
जानकारी के अनुसार स्लीपर कोच की बॉडी झारखंड में नहीं बनती है. देश भर में दिल्ली, चंडिगढ़, लुधियाना, बेंगलुरू, जयपुर तथा अन्य शहरों में इनका निर्माण होता है. वहां से ही ये बसें झारखंड लायी जाती हैं.
कैसे जारी हो रहा परमिट
इन बसों का परमिट साधारण बस की तरह ही जारी किया जा रहा है. चुंकि बसों के परमिट का निर्धारण जिला परिवहन पदाधिकारी ही करते हैं. इसे क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार कार्यालय की तरफ से अनुमोदित किया जाता है. डीटीओ के यहां से 56 सीटों वाली बस के आधार पर ही एसी बसों का परमिट भी जारी किया जा रहा है. इससे बसें आसानी से राज्य के सभी प्रमुख मार्गों में दौड़ रही हैं. इनकी धर-पकड़ नहीं होने की वजह अधिकतर जगहों पर बस मालिकों, जिला परिवहन पदाधिकारियों और सरकारी महकमे में पैठ होना बताया जाता है.
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क्या कहते हैं अधिकारी
रांची के जिला परिवहन निरीक्षक मो. शहनवाज से जब इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि वे काफी व्यस्त हैं. काफी वर्क लोड है. यदि आप फोन पर सभी जानकारी लेंगे, तो यह संभव नहीं है, क्योंकि वे अन्य दूसरे कामों में उलझे हुए हैं. परिवहन सचिव प्रवीण टोप्पो ने उनके मोबाइल पर संपर्क करने की कोशिश की गयी, तो उन्होंने फोन पिक नहीं किया.
रांची में भी बन रहा है एसी स्लीपर बस
राजधानी रांची में एसी, स्लीपर बस बनाये जा रहे हैं. मां तारिणी बस बॉडी बिल्डर की तरफ से इन बसों का निर्माण कराया जा रहा है. प्रतिष्ठान से जुड़े सोनू ने बताया कि हमें आइकैट संस्था से संबद्धता मिली हुई है. इसकी वजह से ही हम साल भर में 18 एसी स्लीपर बस बना रहे हैं. केंद्र सरकार की तरफ से एआरआइ, सीआइआरटी और आइकैट को बस बॉडी बनाने के लिए अधिकृत किया गया है.