आशका और फलक शमीम,
रांची : एक बार फिर हटिया डैम सूखने की कगार पर है. 2018 की तुलना में इस वर्ष डैम का पानी सितंबर के पहले सप्ताह में 17 फीट के स्तर पर भी नहीं है. यानी 12 फीट पानी पिछले वर्ष की तुलना में कम है. अब तो डैम में पानी के बीचों-बीच मिट्टी के टापू दिखने शुरू हो गये हैं. 2010 की स्थिति अभी से परिलक्षित होने लगी है. पेयजल औऱ स्वच्छता विभाग के अधिकारी विभागीय प्रमुख के आदेश के इंतजार में हैं, ताकि डैम से पीने के पानी की राशनिंग शुरू की जा सके. अब भी यदि नहीं चेते, तो डैम को सूखने से कोई नहीं रोक सकता है. सितंबर के माह में डैम में मात्र 16 फीट पानी बचा है. एक दिन में चार लाख की आबादी को पीने का पानी आपूर्ति करने में एक इंच पानी का जल स्तर कम होता है. 60 के दशक में 22 हजार की आबादी और एचइसी के तीनों प्लांट की जरूरतों के लिए यह डैम बनाया गया था. 50 साल बाद डैम पर चार लाख लोग निर्भर हो गये हैं. एक दिन आपूर्ति नहीं होने से हाहाकार जैसी स्थिति हो जाती है. BNN BHARAT की टीम ने सोमवार को डैम के जल स्तर का जायजा लिया. इसमें स्थिति भयावह दिखी. डैम के आसपास के सभी जल स्त्रोत भी लगभग सूख चूके हैं और उनमें खर-पतवार और जलकूंभी उग आये हैं.
धरी की धरी रह गयी 2010 की घोषणाएं
2010 में डैम का जल स्तर सबसे न्यूनतम स्तर यानी पांच फीट तक पहुंच गया था. डैम के डेड स्टोरेज से किसी तरह काम चला था. उसके बाद हटिया डैम से जुड़ी 40 से अधिक कालोनियों के लोगों को एक वर्ष से अधिक समय तक सप्ताह में तीन दिन ही पीने के पानी की आपूर्ति की गयी. तब सरकार के आला अधिकारी विकास आयुक्त से लेकर मंत्री, मुख्य सचिव समेत अन्य अधिकारियों ने निर्देश दिया था कि 48 वर्ग किलोमीटर में फैले डैम के कैचमेंट एरिया में डीप बोरवेल किया जाये. डैम के किनारों से अतिक्रमण हटाया जाये. सघन वृक्षारोपन करने की दिशा में पहल की जाये. डैम के गाद और कचरों की सफाई कर उसे और गहरा किया जाये. यह सब निर्देश कागजों में ही सिमट कर रह गये. डैम के कुछ हिस्सों में मिट्टी हटाने का काम किया गया पर वह भी पानी भरने के बाद छोड़ दिया गया.
डैम में पानी आने के प्राकृतिक स्त्रोत हुए बंद
हटिया डैम में पानी आने के प्राकृतिक स्त्रोत पूरी तरह बंद हो गये हैं. एक छोटे डैम से डैम तक पानी आने का नहरनुमा पैच अब घास-पात से भर गया है. सैंबो गांव के पास रिंग रोड पर बनी नाली से पानी आने के रास्ते में धनरोपनी कर दी गयी है, जिससे पानी के डैम तक पहुंचने के रास्ते को पूरी तरह बाधित कर दिया गया है. डैम के पास के गांव डहुटोली, पतराटोली, फटवाटोली में कंक्रीट मकान बन गये हैं. अधिकतर मकान डैम के कैचमेंट इलाके में हैं. इसके अलावा रिंग रोड बनने से भी डैम में नैसर्गिक तरीके से पानी का रिसना बिल्कुल समाप्त हो गया है. अब सरकार की तरफ से झारखंड हाईकोर्ट, झारखंड विधानसभा और विस्थापित आवास के लिए भी यहीं से पानी दिये जाने की घोषणा की गयी है. इससे डैम पर अतिरिक्त दवाब बढ़ेगा.