बॉडी को रोगमुक्त रखने के लिए हम अक्सर कई की थैरेपी का इस्तेमाल करते हैं। इन्ही थैरेपी में से एक है साल्ट थैरेपी या हेलोथैरेपी। जो एक नैचुरल थैरेपी है। इसमें व्यक्ति को नमक की दीवारों या फर्श पर लिटा दिया जाता है। इस नमक को रोगी की बॉडी धीरे-धीरे अवशोषित कर लेती है। साइनुसाइटिस, एलर्जी, अस्थमा व सांस संबंधी समस्याएं रोगों में यह थैरेपी बहुत महत्वपूर्ण होती है। रोग की स्थिति के मुताबिक नमक के दाने का आकार इसे टी करेगा।
थैरेपी में प्रयोग हुए नमक में कैल्शियम, सोडियम व मैग्नीशियम जैसे मिनरल्स पाए जाते हैं। व्यक्ति की उम्र और स्थिति के अनुसार थैरेपी की समय अवधि तय की जाती है। रोग की एक्यूट अवस्था में इसे प्रयोग में नहीं लेते हैं। 45 मिनट की इस थैरेपी में कमरे में नमी और तापमान समुद्री स्थान जैसा होता है, जिसमें व्यक्ति को आराम कराया जाता है। इसे दो अलग-अलग तरीकों से किया जाता है – सूखी और गीली थैरेपी। इस थैरेपी को हेलोथेरेपी के रूप में भी जाना जाता है।