बीएनएन डेस्क : यूरोप समेत दुनियाभर के कई मुल्कों में वैक्सीन लगने के बाद ब्लड क्लॉटिंग के मामले देखने को मिले हैं. इस कारण चारों ओर ब्लड क्लॉटिंग को लेकर चर्चा हो रही है. ब्लड क्लॉट्स बेहद की गंभीर बीमारी है और मरीज को इसके लक्षण दिखते ही उसे डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. डॉक्टरों की माने तो ब्लड क्लॉट मरीज के हाथ और पैर को प्रभावित करता है. इसके चलते मरीज को मांसपेशियों में दर्द होने लगता है.
ब्लड क्लॉट आमतौर पर सामान्य बीमारी ही है. ये तब होती है जब रक्त वाहिकाओं में प्रोटीन और प्लेटलेट्स एक साथ जमा हो जाते हैं. ये आमतौर पर पैरों और हाथों में जमा होते हैं, लेकिन ये दिल, दिमाग और फेफड़ों समेत शरीर के किसी भी अंग में जमा हो सकते हैं. अगर ब्लड क्लॉट का सही समय पर इलाज नहीं किया जाता है तो ये फेफड़ों तक अपनी जगह बना लेते हैं, जो बेहद ही खतरनाक साबित हो सकता है. इस स्थिति को ‘पल्मोनरी एम्बोलिज्म’ के नाम से जाना जाता है. ऐसे में बेहद जरूरी है कि ब्लड क्लॉट सामने आने पर अपना इलाज करवाएं.ये लक्षण दिखें तो हो जाएं सावधान
डॉक्टरों के मुताबिक, ब्लड क्लॉट अधिकतर ‘डीप वेन थ्रोमबोसिस’नाम की शरीर की गहरी नसों में बनना शुरू होते हैं. DVT का सबसे सामान्य लक्षण ये है कि मरीज कै पैरों में सूजन होने लगती है. सूजन के साथ-साथ पैरों में तेज दर्द होता है और कई बार तो ये सुन्न पड़ जाते हैं. ‘नेशनल ब्लड क्लॉट अलायंस’ के मुताबिक, शरीर के प्रभावित हिस्सों के आस-पास की त्वचा का रंग बदलने लगता है. ये नीला या लाल होने लगता है. इसने बताया कि कुछ मरीजों के हाथ और पैर छूने पर गर्म महसूस होने लगते हैं.
ब्लड क्लॉट का फेफड़ों तक पहुंचना ज्यादा खतरनाक
‘नेशनल ब्लड क्लॉट अलायंस’ ने कहा कि ‘डीप वेन थ्रोमबोसिस’ (DVT) तब होता है, जब आमतौर पर पैरों और हाथों में मौजूद गहरी नसों में ब्लड क्लॉट बनने लगते हैं. ब्लड क्लॉट के लक्षण मांसपेशी में खिचाव जैसे महसूस हो सकते हैं. लेकिन ये पैरों और हाथों में थोड़े से अलग हो सकते हैं. पैरों और हाथों में सूजन आ सकता है, त्वचा का रंग बदल जाता है और शरीर गर्म होने लगता है. इलाज नहीं होने पर ये फेफड़ों तक पहुंच जाता है, जिसे ‘पल्मोनरी एम्बोलिज्म’ कहा जाता है. ‘पल्मोनरी एम्बोलिज्म’ का सबसे आम लक्षण अचानक सांस लेने में तकलीफ होना है.
मोटापे और एक जगह बैठे रहने से भी होता है ब्लड क्लॉट
अलायंस ने बताया कि ‘पल्मोनरी एम्बोलिज्म’ की वजह से कुछ मरीजों के छाती में तेज होने लगता है. ये दर्द और भी बढ़ जाता है, जब वे तेजी से सांस लेने लगते हैं. मरीज को खांसी होने लगती है. ब्लड क्लॉट से बचने का सबसे आसान तरीका ये है कि इन लक्षणों के दिखने पर आप सावधान हो जाएं और डॉक्टर से संपर्क करें. मोटापे, परिवार का ब्लड क्लॉट के मामलों का इतिहास रहना और एक ही पॉजिशन में लंबे समय तक बैठे रहने से भी ब्लड क्लॉट होने का खतरा रहता है.