झारखण्ड राज्य में अभियान चलाकर सभी दिव्यांगों को 31 मार्च तक दिव्यांगता प्रमाणपत्र दिया जाएगा. स्वास्थ्य विभाग से हर दिन मेडिकल बोर्ड की बैठक के लिए कहा गया है. पहले यह बैठक महीने में केवल दो बार होती थी. मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने इस सम्बन्ध में दिशा निर्देश जारी किया है. राज्य के सभी उपायुक्तों को निर्देश दिया गया है कि अभियान चलाकर 31 मार्च तक सभी दिव्यांगों का प्रमाणपत्र जारी किये जाये. एक अनुमान के अनुसार है कि राज्य में करीब पांच लाख दिव्यांग हैं. इनमे से करीब लगभग 2.75 लाख दिव्यांगों के पास यह प्रमाणपत्र उपलब्ध नहीं है.
मेडिकल बोर्ड के लिए चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति कर दी गई है. कैंप लगाकर 31 मार्च तक सभी बच्चे हुए दिव्यांगजनों को प्रमाणपत्र उपलब्ध करवाया जाएगा. कैंपों का अनुश्रवण असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी और जिला समाज कल्याण पदाधिकारी द्वारा किया जाएगा.
बता दें कि दिव्यांगों के लिये केंद्र और राज्य सरकार की ओर से कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं. इनका लाभ प्राप्त करने के लिए उनके पास सक्षम प्राधिकार की ओर से जारी दिव्यांगता प्रमाणपत्र जरूरी है. दिव्यांगता प्रमाणपत्र नहीं होने के कारण वे सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं.