संवाददाता,
रांची: विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को टीचर्स ट्रैंनिंग के दो इंटीग्रेटेड पाठ्यक्रमों को शुरू करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) में आवेदन करते वक्त सम्बंधित राज्य सरकार से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी. उच्च न्यायालय ने एनसीटीई के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसके तहत शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों को शुरू करने के लिए सम्बंधित राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रशासन से औपचारिक सिफारिश पत्र जमा करना अनिवार्य किया गया था. मुख्य न्यायधीश डी.एन.पटेल और न्यायमूर्ति सी.हरि शंकर की पीठ ने लक्ष्मी कॉलेज फॉर एजुकेशन सहित कई अन्य कॉलेजों की ओर से दाखिल याचिका का निपटारा करते हुए यह फैसला दिया है.
पीठ ने एनसीटीई द्वारा मई 2019 में जारी सार्वजनिक नोटिस के कुछ प्रावधानों को गैर-तार्किक बताते हुए रद्द कर दिया है. पीठ ने नोटिस के उस प्रावधान को रद्द कर दिया है, जिसके तहत कुछ चुनिंदा राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के स्थापित विवि व कॉलेजों, शिक्षक प्रशिक्षण कॉलेजों को ही पाठ्यक्रम शुरू करने की अनुमति दी गई थी. पीठ ने एनसीटीई द्वारा निर्धारित इस प्रावधान को गैर क़ानूनी बताया है.
हालांकि, उच्च न्यायलय ने एनसीटीई के निर्णय को बहाल रखा है, जिसके तहत पहले से स्थापित विवि, कॉलेजों और डीम्ड यूनिवर्सिटी को ही शिक्षक प्रशिक्षण के दो इंटीग्रेटेड पाठ्यक्रमों को शुरू करने का प्रावधान किया गया था. पीठ ने कहा की पहले से स्थापित विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और डीम्ड यूनिवर्सिटी को ही इस पाठ्यक्रम की अनुमति दी जा सकती है.