नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय में चार नवंबर से 10 दिनों के अंदर मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ चार महत्वपूर्ण फैसले सुना सकती है. जिसमें अयोध्या जमीन विवाद शामिल है. जिनका देश के सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक क्षेत्र में संभवतः बड़ा प्रभाव हो सकता है.
अयोध्या मामले पर नवंबर में फैसला आने की उम्मीद है. यह 1858 से देश के सामाजिक-धार्मिक मामलों का अहम बिंदु रहा और इसपर 1885 से मुकदमा चल रहा है. यह इस विवाद के लंबे इतिहास में एक नया अध्याय दर्ज करेगा. अदालत के फैसला सुनाने से पहले इस तरह की अटकलें तेज हैं कि क्या पांच जजों वाली संवैधानिक पीठ सर्वसम्मत फैसला देगी ? इस तरह के विवादित मुद्दे पर, जिसने हिंदुओं और मुस्लिमों को विभाजित किया है, क्या एकमत से फैसले को स्वीकार किया जाएगा क्योंकि यह किसी भी तरह की अस्पष्टता को दूर करेगा जो 4-1 या 3-2 (5 जजों के बीच) के फैसले के कारण हो सकती है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार इसके अलावा मुख्य न्यायाधीश की पीठ अपने उस फैसले पर पुनर्विचार करके निर्णय देगी जिसमें हर उम्र की महिलाओं को सबरीमाला के अयप्पा मंदिर के अंदर जाने की इजाजत दी गई थी. तीसरा फैसला सरकार को राफेल पर क्लीन चिट देने पर आ सकता है. चौथा फैसला सीजेआई को आरटीआई के दायरे में लाने वाली याचिका पर आने का इंतजार है.