निरज कुमार
रांची: भारत में यूं तो वाहन चलाने की न्यूनतम उम्र 18 साल रखी गयी है, लेकिन यह सिर्फ कागज पर ही दिखता है. रांची शहर के ऐसे हर एक गली मोहल्ले के साथ-साथ मुख्य सड़कों पर भी हमें लड़के या लड़कियां मिल ही जाते हैं जिनकी उम्र 18 साल तो छोड़ दीजिए 16 साल से भी कम होती है.
वह मोटरसाइकिल इस प्रकार से चलाते हैं जैसे कोई प्रतियोगिता जीतने की होड़ में हो. बिना किसी रोक-टोक के आराम से उन्हें मोटरसाइकिल चलाने की अनुमति दे दी जाती है. उनके परिजन भी लापरवाही दिखाते हुए उन्हें ऐसा करने से रोकते तक नहीं है. जिसमें सबसे बड़े भागीदार उन्हीं को समझा जा सकता है जो अपने बच्चों पर संयम ना रख उन्हें कम उम्र में हीं मोटरसाइकिल और स्कूटी खरीद कर दे देते हैं.
उनके पास न तो हेलमेट होता है और न ही गाड़ी चलाने का तौर तरीका. जब मन करे गलत दिशा में मोटरसाइकिल लेकर प्रवेश कर जाते हैं और अपने साथ साथ दूसरे के जान को भी खतरे में डाल देते हैं. ऐसी अनेकों घटनाएं घट चुकी है जिसमें मोटरसाइकिल सवार के साथ-साथ अन्य लोगों को भी अपनी जान गंवानी पड़ी है. फिर भी प्रशासन इससे सीख ना लेते हुए इसे लगातार नजरअंदाज करती आ रही है. जबकि मोटरसाइकिल से एक्सीडेंट होने वालों की संख्या बढ़ती ही जा रही है.
ऐसे में प्रशासन पर सवालिया निशान खड़ा होता है कि इतने मुस्तैद पुलिसकर्मी होने के बावजूद भी इस तरह की घटनाएं कम होने की बजाय बढ़ती ही जा रही है. ऐसे में प्रशासन से कैसे उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले समय में प्रशासन इसपर काबू पा लेगी.