रांची : हेमंत सरकार का गठन हुए करीब एक माह बीतने को हैं. मंत्रिमंडल का पूर्ण विस्तार अब तक नहीं हो पाया है. इसमें कोई न कोई पेंच फंसता नजर आ रहा है. मंत्रिमंडल में पार्टी का कोटा और विभाग को लेकर अब तक स्थिति साफ नहीं हो पायी है. हेमंत के साथ कांग्रेस के डॉ रामेश्वर उरांव और आलमगीर आलम एवं राजद के सत्याानंद भोक्ता ने शपथ ली थी. अब भी हेमंत के लिए मंत्रिमंडल की उलझन को सुलझाना बड़ी चुनौती है.
कामकाज हो रहा प्रभावित
मंत्रिमंडल का पूरी तरह से गठन नहीं होने से कामकाज प्रभावित हो रहा है. अधिकारियों को समझ में नहीं आ रहा है कि वे क्या करें. कोई भी नहीं योजना शुरू करने पर मुख्य सचिव द्वारा रोक लगाई जा चुकी है. चल रही योजना में पेमेंट नहीं करने का आदेश हो चुका है.
आज दिल्ली जा रहे मुख्य्मंत्री
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आज दिल्ली जा रहे हैं. सरकार गठन के बाद यह उनका तीसरा दिल्ली दौरा है. बीते दो दौरे में वे शिष्टाचार भेंट करने सहित कांग्रेस के आलाकमान से इन मुद्दों पर चर्चा कर चुके हैं. इसके बाद भी पेंच नहीं सुलझ पाया है. सूत्रों की मानें तो इस दौरे के क्रम में भी वे इस गुत्थी को सुलझाने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से बात करेंगे.
कल मिलेगा अवार्ड
मुख्यमंत्री को 20 जनवरी को चैंपियन ऑफ चेंज अवार्ड-2019 मिलना है. पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी 20 जनवरी को नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में उन्हेंं इस अवार्ड से सम्मानित करेंगे. कई नेताओं का कहना है कि सोरेन इसी कार्यक्रम में हिस्सा लेने जा रहे हैं. इसके बाद वे वापस लौट आएंगे.
मंत्रियों की संख्या पर जिच
मंत्रियों की संख्या और विभागों के बंटवारे को लेकर अब भी जिच कायम है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोनिया गांधी, आरपीएन सिंह और उमंग सिंघार से मिलकर मंत्रियों की संख्या एवं विभागों के बंटवारे पर आम सहमति बनाने में लगे हुए हैं. हालांकि उन्हें अब तक सफलता नहीं मिल पाई है.
कांग्रेस को चाहिए अहम विभाग
जानकारी के अनुसार कांग्रेस की नजर कई अहम विभाग पर है. पार्टी स्कूली शिक्षा, उच्च व तकनीकी शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा, नगर विकास, ग्रामीण विकास, गृह, वित्त और कार्मिक अपने कोटे में रखना चाहती है. ऐसे में हेमंत सोरेन के लिए पार्टी की मांगों को मानना चुनौती बन गई है. उन्हें अपनी ही पार्टी के विधायकों का विरोध होने की आशंका सता रही है. वे दोनों के बीच सामंजस्य स्थापित करना चाहते हैं.
पहले दिन से ही हावी
सरकार गठन के पहले दिन से ही कांग्रेस हेमंत पर हावी है. इसकी झलक शपथ ग्रहण के दिन देखने को मिली. इसमें कांग्रेस के दो और राजद के एक विधायक ने मंत्री के तौर पर शपथ ली थी. शपथ ग्रहण से पहले चर्चा थी कि झामुमो कोटे से भी दो विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी. हालांकि 29 दिसंबर के शपथ ग्रहण में परिदृश्य पूरी तरह बदला दिखा.
कोटे से अधिक पद चाहिए
कांग्रेस को निर्धारित कोटे से अधिक पद चाहिए. बताया जाता है कि चार विधायकों में एक मंत्री पद का डील हुई थी. इस हिसाब से कांग्रेस के कोटे से चार मंत्री होना है. हालांकि कांग्रेस पांच मंत्री पद पर दावा कर रही है. इससे समीकरण बिगड़ रहा है. कांग्रेस राजद विधायक को मंत्री की जगह बोर्ड या निगम में जगह देने की वकालत भी कर रही थी. हालांकि अंतिम समय में सत्यानंद भोक्ता को मंत्री की शपथ दिलाई गई.
हर विधायक रेस में
कांग्रेस का हर विधायक मंत्री बनने की रेस में है. जामताड़ा विधायक इरफान तो खुद को उप मुख्यमंत्री बनाये जाने की मांग तक कर चुके हैं. हालांकि उनकी मांग खारिज की जा चुकी है. जानकारी हो कि 17 जनवरी को दिल्ली में कांग्रेस के 16 विधायक सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मिल भी चुके हैं.