रांची: सूबे के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के लिए ये महज संयोग है या कुछ और. वे राज्य में वर्ष 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता लागू करने की बात कर रहे हैं. बीते शुक्रवार को उन्होंने कहा कि नयी सरकार झारखंड की स्थानीय नीति में बदलाव करेगी. इसमें 1932 के खतियान को आधार बनाया जायेगा. उन्होंने यह भी कहा कि विभाग क्या कहता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. स्थानीय नीति में बदलाव होगा और 1932 का खतियान लागू किया जायेगा.
झामुमो सुप्रीमो ने की थी बदलाव की बात
बतातें चलें कि जनवरी में झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो शिबू सोरेन ने कहा था कि हेमंत सोरेन सरकार मौजूदा स्थानीय नीति में संशोधन करेगी. पार्टी ने जनता से इसका वादा किया है. सूबे में 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति बनायी जायेगी.
उन्होंने कहा था कि मौजूदा नीति में काफी कमियां हैं. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा था कि हेमंत सोरेन सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाने के बाद इस पर फैसला लिया जायेगा. इसके बाद से ही स्थानीय नीति पर राजनीति गरमाई हुई है.
सरकार ने दिया था ये जवाब
भाकपा माले विधायक बिनोद कुमार सिंह द्वारा पूछे गये तारांकित प्रश्न के जवाब में सरकार ने बताया था कि स्थानीय नीति में सुधार का कोई औचित्य नहीं है. विधायक ने पूछा था कि क्या राज्य में लागू स्थानीय नीति से राज्य के खतियानी-रैयतों युवाओं को नियोजन में संपूर्ण लाभ नहीं मिल रहा है. इससे सरकार ने इनकार किया.
विधायक ने पूछा है कि वर्तमान में गिरिडीह जिले के वासियों को अत्यधिक नुकसान हो रहा है, जहां गैर खतियानी आबादी 5 प्रतिशत से भी कम है. इससे भी सरकार ने इनकार किया है.
विधायक ने यह भी पूछा कि क्या सरकार स्थानीय नीति में आवश्यक सुधार करने का विचार रखती है. हां तो कब तक और नहीं तो क्यों. इसके जवाब में सरकार ने कहा कि प्रश्न 1 और 2 में दिए गए उत्तर के आलोक में इस सवाल का कोई औचित्य नहीं है.
उल्लेखनीय है कि रघुवर सरकार ने झारखंड अलग राज्य बनने से 15 साल पहले से यहां रहने वालों को स्थानीय माना. इसी आधार पर स्थानीय नीति बनायी है.
गाड़ी का नंबर 1932
वर्ष 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति लागू करने की बात करने वाले शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की गाड़ी (फोरच्यूरनर) की गाड़ी का नंबर 1932 ही है. अब इसे महज संयोग कह लें या कुछ और.