रांची: पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने विभाग के सचिव को 24 मार्च, 2020 को धुर्वा डैम के निरीक्षण के क्रम में मिली जानकारियों से अवगत कराया है. इस संबंध में उन्हें पत्र लिखा है.
विभागीय मंत्री ने कहा कि धुर्वा डैम का जलस्तर काफी नीचे गिरता जा रहा है. यह काफी चिंता का विषय है. इसके विपरीत रूक्का डैम और अन्य जलाशयों की स्थिति बेहतर है.
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उन्होंने कहा कि धुर्वा डैम का Catchment Area निकट के प्रखंड कर्रा, बेड़ो एवं लापुंग का क्षेत्र है. अगर इन क्षेत्रों में बारिश कम होती है तो निश्चित रूप से धुर्वा डैम का जलस्तर काफी नीचे चला जाता है.
उदाहरण स्वरूप मार्च 2017 में जलस्तर 2183 फीट था, जो आज 3 वर्षों के उपरांत 2174 फीट हो गया है. उन्होंने कहा कि अभी जिस तरह से रांची शहर का विस्तार हो रहा है, उससे यह स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में धुर्वा डैम बहुत ही महत्वपूर्ण जलस्रोत साबित होगा. क्योंकि स्मार्ट सिटी, नई विधानसभा, उच्च न्यायालय और आवासीय कॉलोनी सभी धुर्वा डैम के आसपास के क्षेत्रों में विकसित हो रहे हैं. इन क्षेत्रों के लोग पेयजल हेतु पूर्ण रूप से धुर्वा डैम पर ही निर्भर रहेंगे.
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मंत्री ने कहा कि इस परिपेक्ष्य में अगले पचास सालों को ध्यान में रखते हुये विस्तृत कार्य योजनायें बनानी होगी. लोगों को बेहतर पेयजल सुविधा उपलब्ध कराने के लिये धुर्वा डैम के जलस्तर एवं जलस्रोतों को बढ़ाना होगा.
गुमला जिले के सिसई प्रखंड अंतर्गत नागफेनी से दक्षिणी कोयल नदी का प्रवाह है. यह बारहमासी नदी है तथा इसमें सालों भर पानी रहता है. यह एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है. अगर इस नदी के पानी को धुर्वा डैम में लाने की योजना बनाई जाती है तो आने वाले दिनों में धुर्वा डैम का जलस्तर हमेशा बना रहेगा.
रांची शहर की एक बड़ी आबादी को निरंतर पानी मिलता रहेगा. इसके अलावे भी अन्य निकटतम जलस्रोत जिससे धुर्वा डैम को पानी मिल सके उसकी भी संभावनाओं को तलाशने की आवश्यकता पर बल दिया है.
इस संबंध में ठाकुर ने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की सचिव को निर्देश दिया कि वे अभियंताओं और जल संसाधन विभाग के सचिव एवं अभियंता के साथ बैठक कर जल्द से जल्द डीपीआर तैयार करें ताकि इस कार्य योजना को अगले वित्तीय वर्ष में अमलीजामा पहनाया जा सके.