अमेरिका: टिफैनी पिंकनी आज भी उस डर को याद करके सहम जाती हैं जो उन्हें कोविड-19 की वजह से झेलना पड़ा था. अब चूंकि वह इस महामारी से उबर चुकी हैं तो वह गंभीर रूप से बीमार लोगों के लिए रक्तदान कर रही हैं.
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वह ऐसा करने वाली अमेरिका की पहली सर्वाइवर (बीमारी को मात देने वाली) हैं. रिपोर्ट के अनुसार पिंकनी ने कहा, ‘यह जानना निश्चित रूप से काफी खुशी की बात है कि मेरे खून में जवाब मिल सकते हैं.’
नए शोध के अनुसार प्रतिरक्षा अणुओं के साथ खून में मौजूद प्लाज्मा मिलकर कोरोना वायरस को हराने का काम कर सकते हैं. हालांकि इसका कोई सबूत नहीं है कि यह काम करेगा.
आधुनिक चिकित्सा आने से बहुत पहले इतिहास की किताबों के अनुसार, कॉनवालेसेंट सीरम 1918 में आई महामारी के दौरान खसरा, बैक्टीरियल निमोनिया और कई अन्य संक्रमणों के खिलाफ इसी तरह की पद्धति का इस्तेमाल किया जाता था.
क्योंकि जब कोई संक्रमण शरीर पर हमला करता है तो शरीर प्रोटीन बनाना शुरू कर देता है. इस प्रोटीन को एंटीबॉडी कहते हैं जो खासतौर से उस कीटाणु पर हमला करता है. यह एंटीबॉडी सर्वाइवर के खून में महीनों, सालों तक मौजूद होते हैं- खासतौर से प्लाज्मा में.
डॉक्टर्स को यह नहीं पता है कि कोविड-19 के खिलाफ सर्वाइवर की एंटीबॉडी कितनी देर तक काम करेगी. लेकिन अभी के लिए यह सबसे सुरक्षित उपायों में से एक है.
यह कहना है डॉक्टर रेबेका का. वह इस समय डोनर्स की पहचान करने में लगी हुई हैं. उन्होंने कहा, ‘हम अपने लिए उनकी एंटीबॉडी का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं.’
मगर हाउस्टन और न्यूयॉर्क के सर्वाइवर्स ने रक्त दान किया था. अब अस्पताल और रक्त केंद्र सर्वाइवर्स का खून ले रहे हैं. फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने शुक्रवार को मायो क्लिनिक के नेतृत्व वाले एक राष्ट्रीय अध्ययन की घोषणा की, जो अस्पतालों को प्रायोगिक प्लाज्मा थेरेपी की पेशकश करेगा और यह भी बताएगा कि यह करना कितना ठीक है. अमेरिका की रेड क्रॉस सोसाइटी प्लस्मा को इकट्ठा और वितरित करने में मदद करेगी.
न्यूयॉर्क के माउंट सिनाई अस्पताल के अध्यक्ष डॉक्टर डेविड रीच ने कहा, ‘यह कार्रवाई करने के लिए शानदार मौका है.’ उन्होंने ही पिंकनी के ठीक होने की घोषणा और उसे रक्तदान करने के लिए कहा.