बिहार: दनभंगा जिले में बने एक क्वारंटाइन सेंटर में रह रहे एक मजदूर ने गमछे को सेंटर की खिड़की के रॉड से बांधकर फांसी लगा ली. वो दिल्ली में मजदूरी करता था और इस सेंटर में 10 अप्रैल से रह रहा था. इस बारे में दरभंगा के जिलाधिकारी ने सूचना दी है.
हिंदी अखबार दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक मृतक के परिवार वालों ने बाताया है कि वो होली में घर आए थे. त्योहार खत्म होते ही वापिस दिल्ली चले गए थे और देशभर में लॉकडाउन घोषित होने के बाद वो किसी तरह गांव पहुंचे थे. गांव आने के बाद परिवार के कहने पर गांव के बाहर बना क्वारंटाइन सेंटर में ही ठहर गए थे.
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परिवार के हवाले से अखबार ने लिखा है कि मृतक को पहले से टीबी की बीमारी थी और वो इस वजह से तनाव में था. अभी तक इस बारे में और सूचना नहीं है लेकिन सवाल उठता है कि अगर मृतक को टीवी था भी तो वो किन वजहों से तनाव में था? जब क्वारंटाइन सेंटर के जिम्मेदारों का पता चला कि उसे टीबी की बीमारी है तो उसके लिए वहां क्या इंतजाम किए गए थे?
मृतक ने क्वारंटाइन सेंटर में ही आत्महत्या की है और इस वजह से ये राज्य का पहला मामला है नहीं तो अभी तक पूरे राज्य में करीब-क़रीब 9 कोरोना संदिग्धों की मौत हो चुकी है. कई मामलों में तो मौत के बाद जांच के लिए सैंपल लिए गए और बाद में बताया गया कि रिपोर्ट निगेटिव आई है.
आपको बता दें कि 28 मार्च को भागलपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल जेएलएनएमसीएच के आइसोलेशन वार्ड में एक 55 वर्षीय व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी.
उसे सर्दी, खांसी और सांस की तकलीफ की शिकायत के साथ 25 मार्च को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 27 मार्च को उसका सैंपल जांच के लिए भेजा गया था. 28 मार्च को उसकी मौत के बाद पहले उसके कोरोना पॉजिटिव होने की खबर आई, फिर बाद में कहा गया कि वह कोरोना निगेटिव था.
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28 मार्च को ही मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में आइसोलेशन वार्ड में भर्ती एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई. उसके बारे में बताया गया कि वह 45 वर्षीय युवक सीतामढ़ी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से रेफर होकर आया था. उसकी जांच की बात कही गई और साथ ही यह भी कहा गया कि वह पहले से बीमार था.
उसे दस्त, पेट दर्द और सीने में दर्द की शिकायत के साथ आया था. जिले के डीएम ने कहा कि वह कोरोना का संदिग्ध नहीं था, हालांकि यह जानकारी नहीं दी गई कि फिर उसे आइसोलेशन वार्ड में क्यों भर्ती कराया गया था.
2 अप्रैल की रात भोजपुर के सदर अस्पताल में भर्ती एक मरीज की मृत्यु की खबर आ गई, जिसके बारे में बताया गया कि उसकी जांच का सैंपल आईजीआईएमएस भेजा गया है. इनसभी मामलों में एक बात सामन्य है और वो कि प्रशासन ने कहा कि ये कोरोना पीड़ित नहीं थे लेकिन एक भी मामले में ये नहीं बताया गया कि इन सारी मौतों की वजह क्या थी?