-
कोविड-19 मरीजों के लिए बने आई- बेड युक्त वार्ड में को- बोट के माध्यम से दवा, भोजन और अन्य आवश्यक सामग्रियां पहुंचाई जाएंगी
-
अपने मोबाइल फोन से भी मरीजों की निगरानी कर पाएंगे चिकित्सक
-
को- बोट का उपयोग होने पर भी चिकित्सक और चिकित्सा कर्मियों की जिम्मेवारी और दायित्व पूर्ववत् बने रहेंगे
-
कोबोट में टू-वे कम्युनिकेशन सिस्टम भी है तो इसके माध्यम से प्रत्येक बेड तक भोजन पहुंचाना और जरूरी इंस्ट्रक्शन देने जैसे कार्य कर सकते हैं: आदित्य रंजन, उप विकास आयुक्त
पश्चिमी सिंहभूम: सदर अस्पताल परिसर स्थित एएनएम कौशल केंद्र में कोविड-19 संक्रमित मरीजों के इलाज हेतु 20 हाईटेक आइसोलेशन बेड युक्त वार्ड की शुरुआत आज उपायुक्त अरवा राजकमल ने की. इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक इंद्रजीत महथा, उप विकास आयुक्त आदित्य रंजन और सिविल सर्जन डॉक्टर मंजू दुबे उपस्थित रहीं.
Also Read This: व्यापारी समुदाय को सरकारी सहायता उपलब्ध कराया जाना आवश्यक : FJCCI
क्या है आई- बेड (I-BED) और कोबोट (CO-BOT)
कोविड-19 से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए बनाए गए हाईटेक आइसोलेशन बेड अथवा आई- बेड अपने-आप में पूरी तरह से ढके हुए हैं जिससे कि एक मरीज से दूसरे मरीज तक और मरीज से चिकित्सा कर्मियों तक संक्रमण को रोका जा सके. आई बेड का कांसेप्ट यह है कि प्रत्येक बेड में मरीज का दूसरे से संपर्क पूरी तरह से विच्छेदित होगा. पीड़ित व्यक्ति को आई- बेड में ही रखा जाएगा जिससे कि संक्रमण के फैलने का खतरा न्यूनतम किया जा सके.
रोबोटिक्स उपकरण कोबोट रिमोट कंट्रोल से संचालित है. पूरी तरह से स्वचालित कोबोट से भोजन, दवाई, पानी इत्यादि पहुंचाने का कार्य किया जाएगा. इसकी कैरींग कैपेसिटी 30 किलो हर्ट्ज की और रेंज 200 फीट की है. चिकित्सा कर्मियों को संक्रमण से बचाने के लिए यह अत्यंत लाभकारी साबित होगा. कोबोट वाईफाई कैमरा से युक्त है और इसमें इंस्ट्रक्शन देने के लिए स्पीकर भी लगाया गया है. यह पूरी तरह से वाटरप्रूफ है जिससे कि मरीजों के पास आपूर्ति करने के बाद इसे पूरी तरह से सैनिटाइज भी किया जा सके.
कोविड-19 के मरीजों के इलाज हेतु समर्पित जिले के सभी अस्पतालों में कोबोट का इस्तेमाल होगा: उपायुक्त
उपायुक्त अरवा राजकमल ने कहा कि कोबोट के माध्यम से भोजन और दवा एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं को पहुंचाने की सुविधा का शुभारंभ आज किया गया. उपायुक्त ने कहा कि कोविड-19 के खतरे से लड़ने और चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा की दृष्टि से यह काफी उम्दा प्रयास है. इसके लिए उप विकास आयुक्त और उनकी पूरी टीम की सराहना उपायुक्त ने की, जिन्होंने बहुत ही कम समय में इस रोबोटिक उपकरण को तैयार किया. उपायुक्त ने कहा कि जिले में जितने भी कोविड-19 के इलाज के लिए समर्पित अस्पताल हैं या डेडिकेटेड कोविड-19 हेल्थ सेंटर हैं उनमें इस रोबोटिक्स का उपयोग किया जाएगा. विशेषकर जहां पर कोरोना संक्रमण से पीड़ित मरीजों को रखेंगे वहां इसको जरूर लगाएंगे. कोविड-19 के मरीजों का उपचार करने वाले चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों को अधिक रिस्क रहता है इसलिए उनके साथ चिकित्सकों के मेलजोल को जितना कम से कम करेंगे डॉक्टरों की सुरक्षा उतनी ही मजबूत होगी. इसलिए मरीजों पर नजर बनाए रखने के लिए और उनकी आवश्यकताओं का हर समय पूरा ख्याल रखने के लिए इस उपकरण में एक कैमरा भी लगाया गया है. उपायुक्त ने बताया कि आइसोलेशन बेड और कोबोट का उपयोग करके चिकित्सा कर्मियों को रिप्लेस नहीं किया जा रहा है बल्कि उनकी जो जिम्मेदारियां हैं, वह पूर्ववत बनी रहेंगी और उनके दायित्व बराबर पहले जैसे ही रहेंगे. कोबोट के माध्यम से उनको एक अगले चरण की सुरक्षा प्रदान की जा रही है जिससे कि जरूरी काम को छोड़कर अनावश्यक कार्यों के लिए मरीज के पास आने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी.
Also Read This: ‘COVID-19’ को लेकर रिम्स की ओर से किया जा रहा है सर्वेक्षण
कोविड-19 की त्रासदी से पीड़ित बड़े देशों की तैयारियों के वीडियो देखकर मिली कोबोट और आई-बेड बनाने की प्रेरणा: उप विकास आयुक्त
उप विकास आयुक्त ने कहा कि विदेशों के कुछ वीडियो देखकर रोबोट की संकल्पना की गई और उसे अमलीजामा पहनाया गया. सामान की डिलीवरी डॉक्टर और नर्सों के लिए एक बड़ा टास्क है. डॉक्टर और नर्स तो पीपीई किट पहनकर ही मरीज के पास जाएंगे किंतु एंसिलियरी सर्विसेज के लिए जो अन्य स्टाफ है जैसे कि चाहे भोजन पहुंचाना हो, पानी पहुंचाना हो इत्यादि सेवाओं के लिए जो स्टाफ होते हैं उनमें पी पी ई किट की कमी भी है और इसके सावधानीपूर्वक उपयोग और डिस्पोजल इत्यादि में असावधानी की गुंजाइश बनी रहती है. ऐसे वाॅर्ड जहां कोविड-19 के संक्रमण के पॉजिटिव मरीज हैं वहां चिकित्सक कम से कम जाएं और अन्य स्टाफ को जाने की जरूरत ही नहीं हो. वार्ड के मरीजों को भोजन और रेगुलर फीड वाली दवाइयां इत्यादि कोबोट के माध्यम से दी जाएंगी. कोबोट में टू-वे कम्युनिकेशन सिस्टम भी है तो इसके माध्यम से प्रत्येक बेड तक भोजन पहुंचाना और जरूरी इंस्ट्रक्शन देने जैसे कार्य कर सकते हैं.
उप विकास आयुक्त ने बताया कि लॉक डाउन के दौरान कुछ समय का उपयोग विदेशों में बने ऐसे वीडियो को देखने में किया. वीडियोज को देखते हुए अध्ययन किया कि यदि हमारे जिले में कोरोना संक्रमित मरीज आते हैं या संख्या बढ़ती है तो हम कैसे संक्रमण की रोकथाम के उपाय अपना सकते हैं. कोरोना त्रासदी से प्रभावित अन्य बड़े देशों में क्या-क्या उपागम अपनाए जा रहे हैं उनसे सीखकर और प्रेरणा लेते हुए पहले से तैयारी की जा रही है. एक दूसरे से सीखते हुए काफी लाभकारी कार्य कर सकते हैं इसके लिए किसी बड़े आविष्कार की जरूरत नहीं है.
आवास के गैरेज में इंजीनियर्स की टीम के साथ उप विकास आयुक्त ने तैयार किया कोबोट
उप विकास आयुक्त ने कहा कि कोबोट में एक कैमरा लगाया गया है जो कि चुनाव के समय में भी हम उपयोग करते हैं. इंटरनेट और वाईफाई के माध्यम से कोविड-19 मरीजों के वार्ड के अंदर मरीजों की स्थिति को दूर बैठे रह कर भी मॉनिटर कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि बाजार में आसानी से उपलब्ध अन्य उपकरणों के माध्यम से कोबोट को समेकित रूप से बनाया गया है. पश्चिमी सिंहभूम जिले में कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए जितने भी अस्पताल होंगे उन सभी में कोबोट को इस्तमाल किया जाएगा. उद्देश्य यही है कि कोरोना के संक्रमण से पीड़ित मरीज के साथ कम से कम इंटरेक्शन हो, जिससे संक्रमण को फैलने से रोका जा सके.
Also Read This: फ्लाइंग स्क्वायड टीम ने PDS दुकानों का किया निरीक्षण