दिल्ली: दुनियाभर में अब तक 26 लाख से ज्यादा लोग किलर कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके हैं और 1.84 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. चीन के वुहान शहर से शुरू हुई यह महामारी अब दुनिया के 195 देशों में फैल चुकी है. इस महमारी से निपटने के लिए अब ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन का सबसे बड़ा ट्रायल आज से शुरू हो गया है.
कोरोना वायरस के कहर से जूझ रही दुनिया को इस महामारी से निजात दिलाने के लिए आज से ब्रिटेन में दुनिया का सबसे बड़ा ड्रग ट्रायल शुरू हो गया है. ब्रिटेन में बेहद अप्रत्याशित तेजी के साथ शुरू होने जा रहे इस परीक्षण पर पूरे विश्व की नजरें टिकी हुई हैं. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन ‘ChAdOx1 nCoV-19’ से आने वाले कुछ सप्ताह में चमत्कार हो सकता है.
प्रफेसर हॉर्बी कहते हैं कि हमें अनुमान है कि जून में किसी समय कुछ परिणाम आ सकते हैं. यदि यह स्पष्ट होता है कि वैक्सीन से लाभ है तो उसका जवाब जल्दी मिल सकता है.’
हालांकि हॉर्बी चेतावनी भी देते हैं कि कोविड-19 के मामले में कोई ‘जादू’ नहीं हो सकता है. दरअसल, इंग्लैंड में 21 नए रिसर्च प्रॉजेक्ट शुरू कर दिए गए हैं. इसके लिए इंग्लैंड की सरकार ने 1.4 करोड़ पाउंड की राशि मुहैया कराई है. ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी में 10 लाख वैक्सीन की डोज बनाने की तैयारी चल रही है.
ऑक्सफर्ड की वैक्सीन का सबसे पहले युवाओं पर परीक्षण किया जा रहा है. अगर यह सफल रहा तो उसे अन्य आयु वर्ग के लोगों पर इस वैक्सीन का परीक्षण किया जाएगा. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University)में जेनर इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर आड्रियान हिल कहते हैं, हम किसी भी कीमत पर सितंबर तक दस लाख डोज तैयार करना चाहते हैं.
एक बार वैक्सीन की क्षमता का पता चल जाए तो उसे बढ़ाने पर बाद में भी काम हो सकता है. यह स्पष्ट है कि पूरी दुनिया को करोड़ों डोज की जरूरत पड़ने वाली है. तभी इस महामारी का अंत होगा और लॉकडाउन से मुक्ति मिलेगी.
कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए वैक्सीन ही सबसे कारगर उपाय हो सकता है. सोशल डिस्टेंशिंग से सिर्फ बचा जा सकता है.
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