रांची: बहुचर्चित पूर्व मंत्री सत्यानन्द झा बाटुल एक बार फिर नाला विधानसभा सीट पर टिकट के लिए दौड़ लगा रहे हैं. लेकिन इस बार उनके लिए नाला की मंजिल आसान नहीं लगती. नाला की दौड़ में इस बार प्रदेश उपाध्यक्ष प्रदीप वर्मा और प्रदेश प्रवक्ता प्रवीण प्रभाकर भी शामिल हो गए हैं. दोनों नेता प्रदेश स्तर खासा प्रभाव रखते हैं और मुख्यमंत्री के गुडबुक में माने जाते हैं. नाला से प्रदीप वर्मा की दावेदारी ने सबको चौंकाया है. वह बाटुल झा और प्रवीण प्रभाकर के बीच रास्ता निकालने की फिराक में दिखते हैं. सबसे रोचक बात है कि सोनी देवी के DNA टेस्ट प्रकरण के भूत ने अभी तक बाटुल झा का पीछा नहीं छोड़ा है.
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पूर्व कृषि मंत्री सत्यानंद झा बाटुल को हाइकोर्ट ने 13 अप्रैल 2018 को नोटिस जारी कर पूछा था कि वह बताएं कि शिक्षिका सोनी देवी के पुत्र के पिता हैं या नहीं? लेकिन बाटुल झा डेढ़ साल में भी जवाब नही दे पाए. सोनी देवी ने पूर्व मंत्री पर आरोप लगाया था कि उन दोनों के बीच रिश्ता कायम होने के बाद उन्हें एक संतान हुआ, लेकिन बाटुल झा इसे मानने से इंकार कर रहे हैं. सोनी देवी ने बाटुल झा को अपने पुत्र का जैविक पिता बताते हुए DNA टेस्ट की मांग की है. मामले की सुनवाई न्यायाधीश राजेश शंकर की कोर्ट में हो रही है. इस दौरान कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पूर्व मंत्री बाटुल और और सोनी देवी के पूर्व पति भूपेन चौधरी को नोटिस जारी कर कोर्ट में जवाब देने का आदेश दिया था.
क्या है पूरा मामला
पेशे से टीचर सोनी देवी ने 2012 से ही पूर्व कृषि मंत्री सत्यानंद झा बाटुल के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है. सोनी देवी ने अपने बेटे को ‘बाप का नाम’ दिलाने के लिए झारखंड हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने मंत्री के खिलाफ क्रिमिनल पिटिशन दाखिल की है. सोनी देवी ने झारखंड हाई कोर्ट में दाखिल पिटिशन में दावा किया है कि मंत्री सत्यानंद झा बाटुल ही उसके 4 साल के बेटे के असली पिता हैं. इस महिला का दावा है कि बाटुल ने उससे 1996 में एक मंदिर में शादी की थी. टीचर ने कोर्ट से अनुरोध किया है कि बाटुल, उसके पति भूपेन चौधरी और बेटे का डीएनए टेस्ट कराया जाए, ताकि बेटे के असली पिता का पता चल सके.