राहुल मेहता,
बात पुरानी है. सीख पुरानी बातों से भी मिलती है. पीटर और अगस्ती दोस्त के शान-शौकत से प्रभावित होकर, उसके बातों में आकर, अनेक ख्वाब लिए, दिल्ली चले गए थे. लेकिन सपने तो आखिर सपने ही होते हैं. रेत की भांति धारासाई हो गए. प्लेसमेंट एजेंसी के कुचक्र में फंस कर बंधुवा मजदूर से हो गए.
समाज में कुछ लोग यदि विपत्ति में मदद करते हैं तो कुछ को विपत्ति में अवसर नजर आता है. उन्हें लगता है कि शिकार आसानी से मिल जायेगा. सभी प्लेसमेंट एजेंसी बुरे नहीं होते लेकिन अधिकतर प्लेसमेंट एजेंसी भी कुछ ऐसे ही ताक में रहती हैं.
प्लेसमेंट एजेंसी है क्या
यह थोक में कामगार रखने तथा मांग पर सप्लाई करने की जगह है. प्लेसमेंट सेंटर दलाल रखकर झारखंड, ओड़िसा, छत्तीसगढ़, असम, बंगाल, बिहार आदि राज्यों के ग्रामीण, अनुसूचित एवं जनजातीय प्रदशों से गरीब वर्ग के लोगों को कमीशन पर मंगाते तथा कमीशन पर छंटनी करके सप्लाई करते हैं. दिल्ली में लगभग तीन हजार से भी अधिक प्लेसमेंट सेंटर कार्यरत है. अधिकतर फर्जी संस्थागत नाम से छोट-छोटे किराये के मकान में फर्जी लाइसेंस से चलाये जाते हैं. इनके रजिस्टर्ड नंबर भी नहीं मिलते हैं. ये सेंटर नेपाल, उतराखंड, मिजोरम, भूटान, आसाम आदि राज्यों की किशोरियों को सेक्स वर्कर के रूप में तथा शेष प्रांतो के कामगारों को घरेलू कामगार के रूप में भारत के बड़े शहरों में सप्लाई करते हैं.
प्लेसमेंट सेंटर की सच्चाई
उपरोक्त प्रदेशों में स्थानीय दलाल रखा जाता है जो कमीशन पर ग्रामीण अंचल से भोले-भाले लोगों को लालच देकर शहर तक लाते हैं और प्लेसमेंट सेंटर में कमीशन पर छोड़ कर चले जाते हैं. वहां कामगारों को तब तक रखा जाता है जब तक उन्हें काम नहीं मिलता. सबकी पहली बर्बादी यहीं निश्चित हो जाती है. प्लेसमेंट सेंटर में सबके नाम बदल दिये जाते हैं जो आगे चलकर ढूढ़ने वाले के लिए मुश्किलें खड़ी करता है.
प्लेसमेंट सेंटर से हर 11-11 माह के लिए लोग सप्लाई किऐ जाते हैं. प्रतिवर्ष अलग जगहों पर सप्लाई करने पर पुनः कमीशन मिलता है. नौकरी देते वक्त ही एजेंसी कमीशन तथा अग्रिम वसूल लेते हैं ताकि पीड़ित भाग न पाये तथा दलालों को दिया गया कमीशन न डूबे. पैसे देकर मालिक भी उनपर निगरानी के साथ कई घंटे काम कराते हैं. कुल मिलाकर बहुत सारी सेंटर अपने फायदे के लिए धंधे के रूप में एजेंसी चला रही हैं. चुंकि घरेलू कामगार सबको चाहिए तथा ये ही एजेंसी सप्लायर हैं अतः इन पर कोई कार्यवाही नहीं होती है.
सावधानियां
अभी श्रमिक वर्ग बाहर से वापस आ रहें हैं. परन्तु शोषण राज्य के बड़े शहरों में भी हो सकता है. अतः
- गांव से बाहर जाने के पूर्व निबंधन करायें.
- काम से पहले काम का पूरा विवरण प्राप्त कर लें.
- मेहनताना, काम के घंटे, अवकाश आदि का विवरण ले लें.
- अपना पहचान पत्र साथ रखें.
- फोन द्वारा घर से संपर्क बनाये रखें.
- समूह में प्रवास करें.
- आपातकालीन एवं पुलिस का फोन नं. अपने पास रखें.
- आवश्यकता पड़ने पर निकट के श्रम विभाग की मदद लें.
- नाबालिग को किसी भी स्थिति में काम करने ना भेंजें.
- अपने काम का हिसाब रखें.
- विपत्ती में किसी भी प्रकार बाहर सूचना दें और तत्काल मदद मांगें.