प्रमोद उपाध्याय
हजारीबाग : सरकार का 24 घंटे बिजली देने के दावे में कहीं न कहीं अब भी खाई ही है, इसे पाटने में वक्त लगेगा. लेकिन अगर बिजली रहते घर रौशन न हो तो कहीं न कहीं सिस्टम में खामी है. खास कर सरकार आदिम जनजातियों पर फोकस कर रही है. उनके लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. हजारीबाग के इचाक थाना के अंतर्गत भुसवा एक ऐसा गांव है, जहां बिरहोरों की बस्ती में अब तक बिजली नहीं पहुंची है. गौर करने वाली बात यह भी है कि जिस गांव में बिरहोर रहते हैं, उस गांव में सभी के घर रौशन हैं, लेकिन बिरहोरों के 20 घर अब तक अंधेरे में हैं. इनकी सूद लेने वाला कोई नहीं है.
शहर से महज 10 किलोमीटर दूरी पर है भुसवा गांव
बिरहोरों की बस्ती हजारीबाग शहर से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर ही है. इस बस्ती के सोमरा बिरहोर दो टूक कहते हैं कि ‘नाय मिललों बिजली रतीया के नाय पड़तु चेंगवेन’ मतलब साफ है, कि बिजली नहीं रहने के कारण उनके बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है. वहां बिजली का खंभा तो खड़ा है पर बिजली नहीं है. इस बात को लेकर बिरहोर परिवार का कहना है कि पूरे गांव में बिजली जलता है पर हम लोगों के लिए आज तक बिजली नहीं मिला. कृषि केंद्र से एक सोलर लाइट मिला था, जिससे काम चलाते हैं.
घर मिला वह भी आधा-अधूरा
बिरहोर परिवारें के लिए एक साल पहले कॉलोनी बनाई गई थी, लेकिन कॉलोनी के बने घरों में न प्लास्टर किया गया न जमीन पक्का किया गया. बरसात में प्लास्टर नहीं होने की वजह से सांप भी घरों के अंदर आ जाता है. सुरेंद्र बिरहोर ने कहा कि 3 माह पहले एक बिरहोर को सांप काट दिया, जिससे उसकी हालत गंभीर हो गई थी. वहीं कई ऐसे बिरहोर हैं जिनका कहना है कि हम लोग कई वर्षों से यहां रहे हैं, पर आज तक सड़क नहीं पाई है. बरसात में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.