नीता शेखर (समाज सेवी),
रांचीः समंदर की लहरों की तरह ही हमारे जीवन की निधि उथल पुथल मची रहती है. मन इतना चंचल होता है कि आज यहां तो कल वहां.
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इस मन में तरह-तरह के विचार पैदा होते रहते हैं. जिसने भी इस मन पर काबू पा लिया वह पार हो जाता है. जो काबू नहीं कर पाता वह समंदर की लहरों की तरह गोता लगाता रहता है.
कहते हैं समंदर का कोई किनारा नहीं होता. ठीक उसी तरह से हमारे जीवन का भी कोई किनारा नहीं होता. यह जीवन कब, कहां और कैसे किनारे लगेगी कोई नहीं जानता.
समंदर में जब लहरें उठती हैं तो पहले वह धीरे-धीरे होती हैं फिर लहरें बढ़ती जाती है…. बढ़ती जाती है…. फिर 1 दिन सुनामी की तरह हो जाती है. फिर ना जाने कितनी ही जीवन को वह बर्बाद कर देती है.
“बाहरी शक्ति से भी ज्यादा ताकतवर होता है इंसान के मन की शक्ति.” अगर इंसान मन की शक्ति को मजबूत कर ले तो, वो सब कुछ पार कर सकता है.
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महाभारत में पांडवों के पास कोई भी सेना नहीं थी, मगर उनके पास ऐसा सेनापति था जिसने उनके मन को मजबूत बनाया और कौरव से लड़ने की ताकत दिखा.
मेरा तात्पर्य है कि पांडो यानी पवित्र आत्मा और कौरव यानी बुरी आत्मा इस प्रकार से पवित्र आत्मा ने बुरी आत्मा का समापन किया.
कहने का मतलब यह है कि आज हमारे प्रधानमंत्री सभी देशवासियों के लिए चिंतित है और उनका ध्यान रख रहे हैं. अब हमें भी उनकी बात को मानते हुए इस “करोना वायरस” को हराना है.
इस बुरी आत्मा को भगाना है. अपने देश का और देशवासियों को बचाना है तभी हम सब इस कुरुक्षेत्र की लड़ाई जीत सकते हैं.