रांची: राजधानी रांची के ओरमांझी में स्थित बिरसा जैविक उद्यान में एक बड़ा हादसा हुआ है. जहां शेर के बाड़े में एक बच्चा गिर गया. शेर ने बच्चे को अपना निवाला बना लिया.
घटना की जानकारी मिलने के बाद चिड़ियाघर के अधिकारी, कर्मचारी और वन विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंचे.
फिलहाल, चिड़ियाघर को सील कर दिया गया है. सभी सैलानियों को जैविक उद्यान से बाहर निकाल दिया गया है.
View Video:-
जिस रामू को बच्चे की तरह 12 साल पाला-पोसा, उसी ने पटक-पटक कर मार डाला महेंद्र को
महेंद्र ने जिस रामू की 12 साल सेवा की, अपने बच्चे की तरह पाला-पोसा, उसी रामू ने उसे दगा देते हुए मौत के घाट उतार दिया. यह रामू और कोई नहीं, ओरमांझी स्थित बिरसा मुंडा जैविक उद्यान का हाथी था.
महेंद्र इसकी सेवा पिछले 12 साल से करते आ रहे थे. उसे समय पर खिलाने, समय पर नहलाने, ठंड में हीटर की गर्मी देने समेत उसकी सभी जरूरतें पूरी करने की जिम्मेदारी उठा रखी थी महेंद्र ने. हर सुबह रामू को केज से निकालकर उद्यान के एक निर्धारित क्षेत्र में घुमाना महेंद्र की आदत में शुमार हो गया था.
रविवार को भी सुबह 8.30 बजे महेंद्र ने रामू को घुमाने के लिए केज से बाहर निकाला, तो रामू भड़क गया और महेंद्र पर टूट पड़ा. रामू महेंद्र को पटकने लगा. यह देख उद्यान के अन्य कर्मचारियों ने महेंद्र को रामू के गुस्से से बचाने की कोशिश की, लेकिन तब तक कहानी खत्म हो चुकी थी.
आनन-फानन में महेंद्र को लगभग 9.45 बजे रिम्स लाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. रामू ने उद्यान में ही महेंद्र को पटक-पटक कर मार डाला था.
Also Read This:-बीएनएन ब्रेकिंगः ओरमांझी जैविक उद्यान को जू ऑथिरिटी ऑफ इंडिया ने किया था सर्तक, निदेशक भी अतिरिक्त प्रभार में, फूल टाइमर होना चाहिए निदेशक
सम्राट और लक्की रानी भी देखते रह गये थे
वहां मौजूद सम्राट और लक्की रानी (दोनों हाथी) भी इस घटना को देखते रह गये. महेंद्र इनकी सेवा 1991 से ही कर रहे थे. रोज समय पर ईख, घास, पीपल का पत्ता, केला, चना खाने में देते थे. ठंड को ध्यान में रखते हुए महुआ अपने हाथों से खिलाते थे. गर्मी में खीरा-ककड़ी देते थे. हर मौसम में अपने बच्चों की तरह खान-पान का ध्यान रखते थे. जब रामू इस परिवार में आया, तो महेंद्र ने उसकी भी अपने बच्चे की तरह ख्याल रखा. लेकिन, इस सेवा और प्यार के बदले महेंद्र को उसी रामू ने मौत की नींद सुला दी.