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वनौषधि

विष वनस्पतियों में सिरिस श्रेष्ठ है: वनौषधि – 28

प्रचलित नाम- सिरिस प्रयोज्य अंग- कांड की छल, पत्र, पुष्प तथा बीज । स्वरूप- अल्प शाखीत, पतनशील, फैला हुआ १५-१८ मीटर ऊँचा वृक्ष, पत्र संयुक्त पक्षवत, पुष्प पीत हरिताभ, सुगंधित मुंडक में। स्वाद - तिक्त, कषाय । रासायनिक संगठन-इसकी

सप्तपर्ण : वनौषधि – 27

प्रचलित नाम – सतवन / सतौना प्रयोज्य अंग-पत्र, छाल एवं काष्ठ । स्वरूप- विशाल वृक्ष, शाखाएँ चक्राकार समूह में, पत्र तिक्त दुग्ध रस युक्त एवं सप्तवर्णी पुष्प सफेद रंग के होते हैं । यह लगभग 12-18 मी तक ऊँचा, बृहत्, सदाहरित, सुन्दर वृक्ष

कंटाला के औषधीय गुण: वनौषधि – 26

प्रचलित नाम- गुनील केतकी / रामबांस / कंटाला प्रयोज्य अंग- पत्र । स्वरूप- चिरस्थायी विशाल गुल्म पत्ते मूल पत्री जो घने गुलाबाकार,पत्र अग्र तीक्ष्ण कंटकीय,पुष्प विशाल पुष्प दंड पर गुंथे हुए रहते हैं । स्वाद - कटु ।रासायनिक

महानिम्ब के प्रयोग: वनौषधि – 25

प्रचलित नाम- घोड़ करंज / महानिम्ब / बकायन / अरलूमहानिम्ब प्रयोज्य अंग- पत्र तथा छाल स्वरूप- विशाल 60-70 फुट ऊँचा मृदु वृक्ष, पत्र संयुक्त, 2 -3 फुट लम्बे, पत्रक दंतुर धार वाले तथा तिरछे आधार वाले; पुष्प पीले हरे। स्वाद -

बच्चों के लिए अति लाभकारी है हँसपादी : वनौषधि – 24

प्रचलित नाम- हँसपदी/हंसराज, पथरचिटी प्रयोज्य अंग- पंचांग । स्वरूप-एक छोटा आकर्षक क्षुप जिसका काण्ड भूमिजन्यपत्ते संयुक्त, पत्रवृन्त काला चमकीला, पत्रक गोलाकार या अण्डाकार, अग्र भाग सरल किन्तु आधार की ओर के किनारे घुमावदार, पुष्प रहित

जानिए मुक्तवर्चा के औषधीय गुण : वनौषधि – 23

प्रचलित नाम - सुलतान (ताम्रपत्र एवं हरित पत्र) कुप्पी प्रयोज्य अंग-पंचांग, पत्र, पुष्प ।स्वरूप- लघु एक सदनी गुल्म,पत्र भिन्न वर्णी (रक्त, हरित या ताम्र),पुष्प मंजरीया लाल/ हरी । स्वाद- तिक्त । रासायनिक संगठन इस वनस्पति में

चर्मरोगों और दंतरोग में खैर के फायदे, औषधीय गुण तथा लाभ : वनौषधि – 22

प्रचलित नाम- खैर, खादिर और खदिर। प्रयोज्य अंग- खदिर सार, त्वक् ।स्वरूप- मध्यम कद का कंटकीय वृक्ष, पर्णवृंत के नीचे एक जोड़ी कंटकों की,पत्ते संयुक्तपुष्प श्वेत या हल्के पीले, जो मंजरीयों में होते हैं । स्वाद - कटु । रासायनिक

शारीरिक बल, चमक और यौन शक्ति को बढ़ाता है अतिबला : वनौषधि – 21

प्रचलित नाम- कंघी, घंटिका, कंघिनी और अतिबला प्रयोज्य अंग- मूल की छाल, पत्र तथा बीजस्वरूप- बहुवर्षायु, मृदु, श्वेत मखमली रोमावरण युक्त क्षुप, एक से दो मीटर ऊँचा, पत्र दन्तुर, हृदयाकार एवं लम्बेवृन्तयुक्त,पुष्प - पीतवर्णी के,फल - चक्राकार

जानिए वासा के फायदे, श्वसन तंत्रगत विकार, टी.बी. और खांसी में है लाभदायक : वनौषधि – 20

प्रचलित नाम- वासा, वसाका, अड़ूसा प्रयोज्य अंग-पंचांग, पत्र, पुष्प, मूल की छाल । स्वरूप-सदा हरित अति शाखीत क्षुप, 4-8 फुट ऊँचाई वाले, पत्र - अभिमुखी दोनों तरफ से नोकदार, पुष्प - श्वेत जो निपत्र एवं निपत्रिका युक्त होते हैं।स्वाद

नीम / निम्ब के गुण और प्रयोग विधि, जानिए इसके फायदे : वनौषधि – 19

प्रचलित नाम- नीम प्रयोज्य अंग- पंचांग मूल की छाल, कांड की छाल, पत्र, पुष्प, फल (कच्चे तथा पके हुए) स्वरूप- यह एक सघन विशाल 35 -45 फीट ऊँचा वृक्ष, जिसकी शाखाएँ तथा उप शाखाएँ फैली हुई होती है। शाखाओं के अंतभाग में संयुक्त पत्ते होते हैं।…