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जानिए उग्रगंधा / वच के औषधीय गुण : वनौषधि – 11

by bnnbharat.com
July 11, 2021
in वनौषधि, विज्ञान, वैदिक भारत
जानिए उग्रगंधा / वच के औषधीय गुण : वनौषधि – 11
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प्रचलित नाम- वच/ (घोर वच)


वैज्ञानिक नाम  Acorus calamus


प्रयोज्य अंग-भूमिगत कंद ।

स्वरूप- कीचड़ या जल में उगने वाले लघु गुल्म, मूल कंद मांसल, भू प्रसरी सुगंधित, पत्ते लम्बे तलवार के समान पुष्प मंजरी सघन पत्र कोशों से ढकी हुई।

स्वाद – तिक्त ।

रासायनिक संगठन-इसके भूमिगत कंद में फ्लेवॉन, सुगंधित उड़नशील तेल, जिसमें ऐसारॉन तथा बीटा-ऐसारोन, कैलामिनॉल, कैलामीन, कैलामिनोन, युजीनॉल, कैंफीन, अल्प मात्रा में अम्ल (पामीटिक, हेप्टीलिक, ब्युटरिक अम्ल), स्टार्च, गोंद, टैनिन तथा कैल्शियम ऑक्सेलेट पाये जाते हैं।

गुण- वामक, दीपन, आक्षेपशमन, ज्वरहर, कीटाणुघ्न, स्वेदजनन, शोथहर, कफ निःसारक,उद्वेष्टन ।

उपयोग- अग्निमांद्य, आंत्र शूल, विषमज्वर, रक्तदाब तथा श्वसन क्रिया में न्यूनता लाती है, कास, कण्ठरोग, जीर्ण अतिसार, आध्मान तथा अश्मरी में प्रयोग होता है ।

यह औषधि मेध्य, पेशी विश्राम तथा संज्ञास्थापक गुण वाली है। अपस्मार एवं अंगघात जैसे रोगों में उत्तम औषधि है, इसके सेवन से मेधाशक्ति बढ़ती है।

इसका सेवन दूध अथवा मधु के साथ ज्यादा दिनों तक करने से ही लाभ।

खांसी एवं श्वास में वमन कराने के लिये अधिक मात्रा में जल एवं नमक के साथ प्रयोग किया जाता है ।

क्वाथ- प्रतिश्याय, गले की सूजन, खांसी, श्वसनी शोथ में लाभकारी। इसमें इसका प्रयोग वच चूर्ण को कपड़े में बांधकर सूघते हैं।

अपस्मार में इसका चूर्ण तथा मधु सेवन करना चाहिये या वच के टुकड़े कर सात दिन तक घी में भिगोकर तथा इसके पश्चात् इसका तेल निकाल कर इसको सूंघने से तुरंत लाभ होता है।

उन्माद में- इसके स्वरस में कोष्ठ कुलिंजन का चूर्ण तथा मधु मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।

गर्भवती स्त्री को अनाहवात में दूध में लहसुन तथा वच मिलाकर गर्मकर उसमें हींग तथा काला नमक मिलाकर सेवन कराने से अनाहवात नष्ट होकर सगर्भा स्त्री को सुख प्राप्त होता है।

प्रसव के लिये-वच को जल में घिसकर इसमें एरण्ड का तेल मिलाकर इसका लेप नाभि पर करने से सुखमय प्रसव होता है।

आमातिसार, रक्तातिसार तथा खाँसी में- वच, धनियाँ तथा जीरे का क्वाथ पिलाना चाहिये।

विषम ज्वर में-वच, हरड़ तथा घी का धुंआ करने से लाभ होता है।

वच के चूर्ण में एक अद्भुत गुण पाया जाता है। इसके चूर्ण का सेवन जल या दूध के साथ एक माह तक करने से मनुष्य बुद्धिशाली बनता है ।

वच का प्रयोग अधिक मात्रा में करने से शिर तथा रुधिर को नुकसान होता है। इसलिये इसका प्रयोग थोड़ी मात्रा (तीन माशा) में करना चाहिये। अधिक मात्रा में सेवन से वमन होता है तथा वमनार्थ इसका सेवन जल के साथ 30-45 रत्ती किया जाता है।

वच के टुकड़े के को मुख में रखने से कफ आराम से बाहर निकल आता है। बच्चों को खाँसी में वच को जल में घिसकर पिलाने से लाभ होता है औषधि सेवन मात्रा केवल दो से पाँच रत्ती होती है ।

डॉ. देसाई वच को उष्ण, रचेदल, कास हर, कफघ्न, वामक, सुगंधी तिक्त, दीपन, वातहर, उत्तेजक, वेदना स्थापन एवं कृमिन मानते हैं।

इसका प्रयोग कफ वात तथा पित्त प्रकोप में किया जाता है।

वच पुरुषों से ज्यादा शिशुओं तथा महिलाओं को अधिक अनुकुल है।

शिशुओं को दाँत आते समय जो ज्वर आता है, उसमें वच का प्रयोग अधिक लाभकारी है।

अपस्मार में-वच का चूर्ण मधु के साथ प्रातः एवं सायं सेवन से लाभ होता है।

उन्माद –जब रोगी थक जाता है उस समय वच का में- चूर्ण कद्दू के रस में मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।

पक्षाघात में- अंगघात भाग पर वच की मालिश करने से लाभ होता है।

गर्भवती महिला के प्रसव समय वच का प्रयोग केसर तथा पीप्पलीमूल के साथ करने से लाभ होता है।

शिशुओं की उदर वेदना तथा प्रवाहिका में वच को सेंककर सेवन कराना चाहिए (अल्पमात्रा)।

मात्रा- चूर्ण- 125-500 मि.ग्राम। क्वाथ 25-50 मि.ली. । वमनार्थ-1-2 ग्राम ।

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औषधि प्रयोग से संबंधित कुछ महत्व जानकारी

ENGLISH NAME:- Sweet Flag. Hindi-Bach

PARTS-USED:-Rhizome.

DESCRIPTION:-A small aquatic or marshy herb, with tuberous fleshy, creeping, aromatic cylinctrical rhizonai leaves linear strap shaped, thiclcened on vains

TASTE:-Bitter. Pangent

CHEMICAL CONSTITUENTS-Rhizome Contains: Flavon, Essential oil which contains asarone and Beta-asarone, Calaminol, Calamene, Calamenone, Eugenol, Camphene, acids in small quantity (Palmitic, Heptylic, Butyric acid) Starch Gum, Tannin

and Calcium oxalate.

ACTIONS:-Emetic, Stomachic, Anticonvulcent, Antipyretic, Alterative, hypotensive, carminative, anthelmintic Antibiotic, Diphoretic, Anti-inflammatory. Expectorant, Spasmolytic. Thermogenic, laxative, Dinretic.

USED-IN-Dyspepsia, Colic, Remittant fever, Caused depression in blood pressure epilepsy bronchilis and Respiration, Cough, Throat disorder, Chronic diarrhoea, flattulence and Calculi: It is a nerve tonic, Musclerelaxent and Tranquilizing. delirium, hyrteria, tumours, thirst

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