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रोजमर्रा की चीजों को लेकर पैनिक की स्थिति धीरे-धीरे हो रही है समाप्त
रांची: कोरोना वायरस (कोविड-19) को लेकर उत्पन्न वैश्विक संकट से निजात पाने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन की स्थिति है.
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इस दौरान केंद्र सरकार द्वारा 80 करोड़ परिवारों को दो रुपये प्रति किलोग्राम गेंहू और तीन रुपये प्रति किलोग्राम चावल देने के निर्णय से लोगों की उम्मीद जगी है कि उन्हें संकट की घड़ी में अनाज की किल्लत की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा.
वहीं राज्य सरकार द्वारा कालाबाजारी, जमाखोरी और मुनाफाखोरी पर अंकुश लगाने को लेकर कड़े कदम उठाये गये है. इसके अलावा घर-घर आवश्यक वस्तुओं और दवा पहुंचाने का काम शुरू होने से भी लोगों ने राहत ली है.
लॉकडाउन के प्रारंभ में लोग खाद्यान्न सामग्रियों, सब्जी और दूध-दवा को लेकर चिंतित नजर आ रहे थे. इस दौरान राशन दुकानों और सब्जी मंडियों में भीड़ देखी गयी.
लेकिन प्रशासनिक पहल के बाद पैनिक की स्थिति धीरे-धीरे समाप्त हो रही है और यह उम्मीद जतायी जा रही है कि आने वाले समय में स्थिति में लगातार सुधार होगा.
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दूसरी तरह अब लोगों को खुद भी धीरे-धीरे स्थिति की भयावता भी समझ में आने लगी है. लोग स्वेच्छा से अपने घरों में ही रहना पसंद कर रहे थे.
पहले दिन जिन युवाओं ने लॉकडाउन को देखने की इच्छा को लेकर अनावश्यक रूप से सड़क पर उतरने की कोशिश की.
उनके खिलाफ पुलिस-प्रशासन की सख्ती के बाद यह साफ संदेश गया है कि बिना आवश्यक कार्य के कोई भी व्यक्ति सड़क पर नहीं उतरेगा, तो पुलिस-प्रशासन की ओर से उनके खिलाफ ठोस कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
प्रशासन की ओर से जगह-जगह बैरिकेडिंग की व्यवस्था की आने-जाने वाले वाहनों की तलाशी ली जा रही है.
वहीं शहर से लेकर गांवों तक जागरूकता फैलने के कारण अब लोग गांवों में भी बाहरी लोगां के प्रवेश पर रोक लगाने जैसा कदम उठा रहे है.
इसके अलावा जैसे ही लोगों को यह सूचना मिलती है कि गांव की कोई व्यक्ति दूसरे राज्य से वापस लौटा है, तो तुरंत उससे इलाज कराने का आग्रह किया जाता है और इसकी सूचना पुलिस-प्रशासन को भी दी जाती है.