खाली पेट या भूख लगी हो तब अनानास का सेवन नहीं करना चाहिए।
प्रचलित नाम- अनानास (वैज्ञानिक नाम – Ananas cosmosus)
प्रयोज्य अंग- फल
स्वरूप-एक कंटकीय क्षुप, भौमिक काण्ड, पत्र बड़े, कांटेदार, गुच्छाकार, पत्र किनारी दन्तुर तथा काँटेदार, फल बड़े जो क्षुप के पत्रों के मध्य से निकलते हैं। समग्र फल खुरदरा तथा कांटेदार, फल अंदर से लाल पीला या नारंगी रंग का होता है।
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स्वाद – मधुर
गुण-ताजेफल, रुचिकर, हृदय, बल्य, श्रमहर, गुरु, कफ पित्तकारक, कृमिघ्न, विरेचक, ग्लानि नाशक पके हुए फल-मधुर, पित्त शामक, रस विकार, मूत्रल, पाचक ।
उपयोग-पके हुए फल बहूमूत्र रोग ( प्रमेह) अजीर्णता में लाभकारी। जबकि कच्चे फल कृमिघ्न, गर्भपात, मृदुरेचक होते हैं।
अजीर्णता में अच्छी तरह से पके हुए फल के महीन टुकड़े कर उन पर काली मिर्च तथा सैन्धव नमक छाँट कर खाने से लाभ होता है।
कृमिरोग में केवल अनानास के फल का सेवन करने से कृमि नष्ट होकर निकल जाते हैं। या इसके पत्तों के स्वरस को सेवन करने से उदर कृमि नष्ट होते हैं।
प्रमेह (बहूमूत्र रोग) में पके हुए फल का छिलका एवं मध्य कठिन हिस्सा निकाल कर बाकी के बचे हुए हिस्से का रस निकाल कर उसमें जीरा, जायफल, लेण्डी पीपल तथा काला नमक मिलाकर सेवन करने से या अनानास के छोटे-छोटे टुकड़ों पर लेण्डीपीपल का चूर्ण डालकर सेवन करने से लाभ होता है।
उदरशूल में पके हुए फल का रस एक तोला, इसमें अदरख का रस दो तोला सैन्धव नमक दो गुंजा एवं भुनी हुई हींग एक गुंजा मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
उदर में बाल गया हो तो पका हुआ अनानास खाने से, उदर में बाल के कारण होने वाला शूल ठीक हो जाता है।
अनानास फल का मध्य भाग निकाल देना चाहिए क्योंकि यह अवगुण कारक होता है फिर यदि किसी कारण से खाने में आ गया हो तो प्याज, दही तथा मिश्री का सेवन कर लेना चाहिए।
खाली पेट या भूख लगी हो तब अनानास का सेवन नहीं करना चाहिए। इसी प्रकार गर्भवती महिला के लिये अनानास का सेवन वर्जित होता है।
इसके पके हुए फल का सेवन सूर्य की गरमी के कारण होने वाले दोष को नष्ट करता है ।
अनार्त्तव में इसके कच्चे फल का रस एक तोला तथा इसमें पीपल (अश्वथ) की छाल का चूर्ण एक माशा एवं गुड़ एक माशा मिलाकर खिलाने से महिला का मासिक धर्म ठीक आने लगता है।
धातु क्षीणता में अनानास के पके फल का एक तोला रस में त्रिफला, मुलैठी, गिलोय, सफेद मूसली, नागकेसर, विदारी कंद एवं सालमपंजा (सम मात्रा में) लेकर इनका चूर्ण बना लें, इसके पश्चात् इसमें घी तथा मधु मिलाकर प्रति दिन सेवन कराना चाहिए । यह प्रयोग लाभकारी है।
मात्रा – पत्र स्वरस – एक से दो तोला ।
फल का स्वरस-दो से पाँच तोला।
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औषधि प्रयोग से संबंधित कुछ महत्व जानकारी
ENGLISH NAME:- Pineapple. Hindi – Annanas
PARTS-USED:-Fruit
DESCRIPTION:- A spiny herb with under ground stem. Leaves are radicle incluster, long with dentate spiny margin. Fruit is composite spiny, large, rough, Red orange from
inside.
TASTE:-Sweet.
CHEMICAL CONSTITUENTS
ACTIONS:-Fresh fruits are Appitizer, Hear tonic, Antifatigue, Guru, Kapha-Pittakark, Anthelmintic, Laxative; Ripen Fruits are sweet, Antibillious, Rasa-vikar, Diuretic, Digestive. USED IN:- Worms infestation, Polyuria, Indigestion, unripen fruit is abortifacient, Laxative and Anthelmintic.