रांची: बेहतर परवरिश का लक्ष्य बच्चे को समाज के लिए एक अच्छा नागरिक और बहुमूल्य संसाधन बनाने के लिए प्रशिक्षित करना होता है. अभिभावक अपने बच्चों के जीवन पर सर्वाधिक प्रभाव डालते हैं. अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों के बेहतरी हेतु यथासंभव अपना सर्वोत्तम देना चाहते हैं. परन्तु चाहत और कौशल में फर्क होता है. बिना कौशल और अनुभव के चाहत पूरी नहीं होती. कुछ अभिभावक ऐसे भी होते हैं जिनकी अपनी सीमायें, रूचि, व्यस्तता, मजबूरियां या संकीर्ण मानसिकता होती है जिसके कारण वे बच्चे की अपेक्षित तरीके से परवरिश नहीं कर पाते. परवरिश मार्गदर्शिका “आंचल” उनके लिए एक प्राथमिक सहायक होगी. लेखक ने छोटी-छोटी घटनाओं का उपयोग किया है. यह न सिर्फ पाठकों को चिंतन के लिए प्रेरित करती है बल्कि अनेक जटिल मुद्दों को और मनोवैज्ञानिक सिद्धांतो को सरलता से स्पष्ट करती है. अभिभावकों के लिए “आंचल-परवरिश मार्गदर्शिका” बहुपयोगी और मूल्यवान है. यह उदगार पुस्तक का ऑनलाइन विमोचन करते हुए डेविस इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो-साइकेट्री की प्रशासक हेजल डेविस ने व्यक्त किया.
सृजन फाउंडेशन की अध्यक्ष पूजा ने कहा सृजन फाउंडेशन अपने स्थापना काल से ही समाज के वंचित वर्गों विशेषकर महिलाओं एवं बच्चों के कल्याण और अधिकारों के संरक्षण तथा समुदाय आधारित संगठनों की क्षमता विकास के लिए प्रयासरत है. बाल अधिकार के वृहद दायरे के अंतर्गत सृजन फाउंडेशन बाल संरक्षण के लिए अनेक कार्यक्रमों का क्रियान्वयन करती आ रही है. संस्था देखभाल की आवश्यकता वाले बच्चों के परवरिश तथा उनके अधिकरों के संरक्षण के हस्तक्षेप मॉडल का भी प्रदर्शन करती रही है ताकि सीमित क्षेत्र के प्रयासों का लाभ वृहद समाज उठा सके. यह मार्गदर्शिका इन्हीं प्रयासों की एक कड़ी है. उम्मीद है सृजन फाउंडेशन के इस प्रयास का अभिभावक समुचित लाभ उठा पायेंगें.
लेखक राहुल मेहता ने कहा कि परवरिश निर्धारित करती है कि बच्चे कैसे बड़े होंगे और बड़े होकर कैसे होंगे. परवरिश की गुणवत्ता बच्चों की विकासात्मक क्षमता को प्रभावित कर उनके जीवन को दिशा प्रदान करने में अहम भूमिका निभाती है. बच्चे सिर्फ वही नहीं सीखते जो उन्हें सिखाया जाता है, वे देखकर और अनुभव कर भी बहुत कुछ सीखते हैं. अतः अभिभावक-बाल संबंधों के साथ-साथ सांस्कृतिक और सामाजिक परिवेश का भी बच्चों पर व्यापक प्रभाव पड़ता है. ये बच्चों के भाषा और संवाद, आत्मविश्वास, व्यक्तित्व, स्व-नियंत्रण, आपसी संबंध, समस्या-प्रबंधन, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सहित विकास के विभिन्न आयामों को निर्धारित करते हैं. यह आम मान्यता है कि जिम्मेदारी बहुत कुछ सिखा देती है, घर बच्चों का प्रथम पाठशाला होती है. लेकिन वे अभिभावक बनने मात्र से सब कुछ सीख नहीं जाते, अपितु ज्ञानार्जन और अनुभव से बेहतर अभिभावक बनते हैं. परवरिश संबंधी ये छोटी-छोटी सीख अत्यंत सरल प्रतीत होती हैं, परन्तु इनका अनुपालन बच्चों के जीवन में महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं.
प्रकाशक सृजन फाउंडेशन के राजीव रंजन सिन्हा ने कहा कि किंडरपोस्टजेगल्स के सगयोग से प्रकाशित पुस्तक की पीडीफ प्रति नि:शुल्क उपलब्ध है.
परवरिश सीजन – 1
बच्चों की बेहतर पालन-पोषण और अभिभावकों की जिम्मेदारियां (परवरिश -1)
बेहतर पालन-पोषण के लिए सकारात्मक सामाजिक नियम अनिवार्य और महत्वपूर्ण हैं (परवरिश-2)
अभिभावक – बाल संवाद (परवरिश-5)
बच्चे दुर्व्यवहार क्यों करते हैं? (परवरिश-8)
मर्यादा निर्धारित करना, (परवरिश-9)
बच्चों को अनुशासित करने के सकारात्मक तरीके (परवरिश-10)
भावनाओं पर नियंत्रण (परवरिश-12)
बच्चों की चिंतन प्रक्रिया और व्यवहार (परवरिश-13)
टालमटोल (बाल शिथिलता) और सफलता (परवरिश-14)
नशापान: प्रयोग से लत तक (परवरिश-15)
छेड़-छाड़ निवारण में अभिभावकों की भूमिका (परवरिश-16)
बच्चों का प्रेरणास्रोत (परवरिश-17)
बच्चों के उद्वेग का प्रबंधन (परवरिश-18)
बच्चों में समानता का भाव विकसित करना (परवरिश-19)
स्थानीय पोषक खाद्य पदार्थ (परवरिश-21)
आपदा के समय बच्चों की परवरिश (परवरिश-22)
परवरिश सीजन – 2
विद्यालय के बाद का जीवन और अवसाद (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-01)
किशोरों की थकान और निंद्रा (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-02)
दोषारोपण बनाम समाधान (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-03)
किशोरों में आत्महत्या की प्रवृति (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-04)
पितृसत्ता और किशोरियों की परवरिश (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-05)
किशोर-किशोरियों में शारीरिक परिवर्तन (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-06)
“आंचल” परवरिश मार्गदर्शिका’ हर अभिभावक के लिए अपरिहार्य
राहुल मेहता,