काजू शुक्रवर्धक, त्वचा को मृदु बनाने के गुण वाली तथा पौष्टिक है।
प्रचलित नाम- काजू बदाम
वैज्ञानिक नाम – Anacardium occidentale
काजू एक प्रकार आयुर्वेदिक औषधि है जिसका फल सूखे मेवे के लिए भी किया जाता है। काजू से अनेक प्रकार की मिठाईयाँ बनाई जाती है। इससे मदिरा भी बनाई जाती है। काजू का पेड़ तेजी से बढ़ने वाला उष्णकटिबंधीय पेड़ है जो काजू और काजू का बीज पैदा करता है। ऐसा मन जाता है कि काजू की उत्पत्ति ब्राजील से हुई है।
प्रयोज्य अंग-मूल, छाल तथा फल। स्वरूप-लघुकद के सदा हरित वृक्ष 5-12 मीटर ऊँचे, पत्ते सरल, अग्र हिस्सा गोल, पुष्प अग्रस्थ शाखा प्रबंधित पुष्प विन्यास में गुँथे हुए, काष्ठ फल वृक्काकार जो सेब आकार के मांसल पुष्पासन पर लगा होता है।
स्वाद – चरपरा कटु ।
रासायनिक संगठन-इसके फल में – पोलीसैकेराइड्स (गैलेक्टोज), गैलेक्टयुरोनिक अम्ल, इसके पत्रों में पी-हाइड्रोक्सी बेन्जोइक, प्रोटोकेटुचुइक, जेन्टीस्टीक अम्ल, गैलीक अम्ल, ग्लूकोसाइड्स रहामनोसाइड्स, एरे बीनोसाइड्स तथा जायलोसाइड्स किम्फरॉल, क्वेरसिटोल, इसके फलावरण में सायनीडीन, डेल्फीनीडीन पेलारगोनीडीन, क्वेरसेटीन, गैलेक्टोसाइड्स, मियरीसटीन एवं गैलीक अम्ल इसके अतिरिक्त इसमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में, केरोटिन्स अल्प मात्रा में पाये जाते हैं।
गुण- कामदीपन, मूत्रल, शामक, ग्राही ।
उपयोग- फल का उपयोग रक्तस्रावी रोगों में, वृक्क अवरोध में होता है ।
यह औषधि शुक्रवर्धक, कीटाणुघ्न, अतिसार हर, रक्त पित्त रोग नाशक, त्वचा को मृदु बनाने के गुण वाली तथा पौष्टिक है।
इसकी छाल का बाह्य प्रयोग कुष्ठरोग तथा व्रण में होता है।
इसके मूल अतिरेचक गुण वाले हैं।
इसके फल का प्रयोग जलोदर, अग्निमांद्य, ज्वर, अर्श, संग्रहणी में होता है।
वर्षा ऋतु में-वर्षा के जल से पैरों की चमड़ी गल जाने पर-काजू के बीज के क्षीर का प्रयोग करने से लाभ होता है।
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औषधि प्रयोग से संबंधित कुछ महत्व जानकारी
ENGLISH NAME:- Cashewnut Tree. Hindi – Kaju PARTS-USED:- Root, Bark and Fruit.
DESCRIPTION:- A small evergreen crooked tree 5-12 meter high. Leaves Simple rounded at apex. Flowers in terminal panicle: Nut reni formSeated on a lage pyri form fleshy Thalamus.
TASTE:-Acrid.
CHEMICAL CONSTITUENTS-Nut Contain: Polysaccharides, (Galactose), Galact uronic acid; Leaves: P-Hydroxybenjoic, Protocatechuic, Gentistic acid, Gallicacid, Glucosides, Rhamnosides, Arabinosides, xylosides, kaempferol, Quercitol, Nutshells, Contain-Cyanidin, Delphinidin, Pelargonidin, Quercetin, Galactosides, Myricetion & Gallic acid. It also contains Vitamin-C in large amount & Carotene in Small amount. ACTIONS:- Aphrodisiac, Diuretic, Demulcent, Astringent.
USED IN:-Fruits: in haemorrhagic diseases, kidney troubles; is spermato-poitic, Antibacterial, Anti diarrhoeal, Antiscorbutic, Emollient, Nutritious. Bark is applied externally in leprosy and ulcers: Root is purgative. Fruit is also useful in Dropsy, Dyspepsia, Fever, Piles, Sprue.