अदरक के समान दिखने वाला उसी की जाती का पौधा है कुलिंजन, इसे कुलंजन या महाभरी वच भी कहते हैं। यह जड़ी-बूटी के रूप में इस्तेमाल होने वाला एक कंद है और अरब सहित दक्षिण-पूर्व एशियाई रसोई में मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
परिचय:-
प्रचलित नाम- कुलिंजन, कुलंजन, महाभरी वच।
वैज्ञानिक नाम- Alpinia galanga
प्रयोज्य अंग – मूल कंद
स्वरूप- चिरस्थायी गुल्म, भूमिजन्य, सुगंधित मूल कंद युक्त, 6-7 फूट ऊँचे, पत्ते 6-15 ईंच लम्बे, पुष्प श्वेत हरिताभ ।
स्वाद – उग्र गंध युक्त
रासायनिक संगठन-
इसके मूल कंद में हल्के पीले रंग का तेल-जिसमें युजीनोल, सीनीयोल डी-पिनीन, केडेनीनूस, बैसोरीन, गैलेन्जीन, स्फटिक पदार्थ-कीफेराईड, गैलेंगोल, गैलेन्जीनका मोनोमिथाइल ईथर, स्टार्च, राल, टैनीन, फलोबाफेन तथा वसा तत्व पाये जाते हैं ।
गुण-सुगंधित, उत्तेजक, कफनि:सारक, दीपन, पाचन, वातहर, बल्य वाजीकरण
उपयोग :-
कास-जुकाम, आमवात, श्वासरोग, मधुमेह, स्वरभंग, दंतरोगों में ।
अन्य औषधियों को सुगंधित करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
इसके मूल का चूर्ण-मधु के साथ चटाने से-खाँसी, श्वास रोग, कुकास खाँसी, बच्चों तथा वृद्धों के श्वसन संस्थान विकारों में लाभ होता है एवं श्वास कृच्छ्र दूर होकर ज्वर में लाभकारी।
इसके उद्वेष्टनरोधी गुण के कारण श्वास रोग में लाभ होता है।
पाचन विकारों में इसके पाचन, दीपन एवं सुगंधि जैसे गुणों के कारण लाभ होता है।
मधुमेह एवं अपने आप होने वाले मूत्रत्याग में इसके क्वाथ का प्रयोग लाभकारी।
इसकी जड़ को चबाने से मुख की दुर्गंध दूर होती है एवं वाजीकरण के लिए लाभ होता है।
दंतशूल में-जड़ का चूर्ण दांतों में रगड़ने से लाभ होता है।
शरीर पर अधिक पसीना आता हो तो इसका चूर्ण शरीर पर रगड़ना चाहिए। इसका अर्क बनाकर पीने से उत्तम ‘कान्तिमय देह बनता’ है।
यदि दाँत दुःखते हो, तो कुलिंजन चबाने से दाँतों का दर्द शांत होता है ।
मात्रा-चूर्ण-2 से 8 मिली ग्राम ।
जानिये और भी वनौषधियों के बारे में :
जानिए शिकाकाई के औषधीय गुण : वनौषधि 16
बबूल के फल, फूल, गोंद और पत्तों के हैं कई फायदे : वनौषधि 15
बड़ी इलायची के फायदे, औषधीय गुण : वनौषधि 14
जानिए काजू बदाम के औषधीय गुण : वनौषधि – 13
अकरकरा के औषधीय गुण : वनौषधि – 12
जानिए उग्रगंधा / वच के औषधीय गुण : वनौषधि – 11
जानिए अपामार्ग / चिरचिरी के औषधीय गुण : वनौषधि -10
जानिए गोरख इमली के बारे में : वनौषधि – 9
जनिए अनानास / अन्नानस औषधि का सेवन कब और कैसे : वनौषधि – 8
बेल / बिल्व में हैं कई औषधीय गुण : वनौषधि – 7
मानकंद / महापत्र एक आयुर्वेदिक औषधि : वनौषधि – 6
पियाज / पलाण्डु एक आयुर्वेदिक औषधि : वनौषधि – 5
लहसुन/ लसुन एक आयुर्वेदिक औषधि : वनौषधि – 4
जानिए एलोवेरा / घृतकुमारी के फायदे और उपयोग के तरीके : वनौषधि – 3
रत्ती “एक चमत्कारी औषधि” : वनौषधि – 2
गिलोय “अमृता” एक अमृत : वनौषधि -1
औषधि प्रयोग से संबंधित कुछ महत्व जानकारी
ENGLISH NAME:-
Greater galangal/ Java Galangal. Hindi- Kulinjan Bhed
SCINTIFIC NAME :- Alpinia galanga
PARTS-USED:- Root (Tuberous)
DESCRIPTION:- A perennial herb with underground aromatic tubrous roots 6-7 feet high, leavs-6-15 inch long, flowers greenish white.
TASTE:- Pungent Aromatic.
CHEMICAL CONSTITUENTS- Tuberous roots contain: Light yellow coloured oil which contains Eugenol, cineol-d- penene, Cadenens, Bassorin, Galangin; Crystaloid Substnces like Kaepferide, Galongol, Monomethyl ether of Galangin, Starch, Resin, Tannin, Phlobaphane, Fats.
ACTIONS:- Aromatic Stimulant, Expectorant, Stomachic, Digestive, Carminative, Tonic Aphrodisiac.
USED IN:-Cough cold, Rheumatism, Catarha, Asthma, Diabetes, Harseness of voice, Dentifrices, also used to made other medicines aromatic.