राहुल मेहता,
रांची: “परीक्षा शुरू होने वाला है पर तुम्हारा टीवी देखना कम नहीं हो रहा. इस बार फेल होना है क्या? बोलो तो विद्यालय से नाम कटा कर सरकारी विद्यालय में नाम लिखा दूं”. पिताजी बोले जा रहे थे और रश्मि चुपचाप सुने जा रही थी. वह फिल्म छोड़कर पढ़ने बैठ गयी. पर पिताजी के बहार जाने तक ही. जैसे ही पिताजी बाहर गए वह मां से झगड़ कर अधूरी फिल्म देखने बैठ गयी. आखिर रश्मि के इस व्यवहार के लिए दोषी कौन है?
सभी बच्चों के लिए कुछ दुर्व्यवहार सामान्य है. वे अपनी बात मनवाने के लिए आपकी सीमाओं का परीक्षण कर सकते हैं या अपनी निराशा व्यक्त कर सकते हैं. जब भी कोई बच्चा गलत व्यवहार करता है तो उसे सुधारना जरुरी है. लेकिन चिंता तब होती है जब दुर्व्यवहार बहुत अधिक हो जाता है. आखिर बच्चे कभी-कभी गलत व्यवहार क्यों करते हैं? बच्चों को दुर्व्यवहार से रोकने के लिए आप क्या करते हैं या जब बच्चे दुर्व्यवहार करते हैं तो आप क्या करते हैं? इनका बच्चे के व्यवहार से सीधा सम्बन्ध है. गलत व्यवहार में सुधार के लिए बच्चे को मारना-पीटना या सजा देना उचित नहीं. गलत व्यवहार का कारण समझने की कोशिश करें. यह भी जानने का प्रयास करें कि क्या बच्चे की प्रतिक्रिया परिस्थिति, समय या व्यक्ति के अनुरूप बदलती रहती है या एकरूप रहती है.
बच्चे गलत व्यवहार तब करते हैं जब–
- उनकी शारीरिक या भावनात्मक जरूरतें पूरी नहीं होती.
- उनको गलतफहमी हो जाती है.
- वे ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं.
- वे उचित संवाद कर नहीं पाते.
- जब स्पष्ट नियम या सीमा निर्धारित नहीं की जाती या दूसरों द्वारा पालन नहीं किया जाता है.
- कुछ बच्चे को उचित-अनुचित व्यवहार की जानकारी नहीं होती, उन्हें यह सिखाया जाना चाहिए.
दुर्व्यवहार कैसे रोका जा सकता है?
- अपनापन: बच्चों को समझाना कि वे प्यारे हैं और परिवार के लिए महत्वपूर्ण हैं.
- स्वीकृति: बच्चों के विचारों और भावनाओं की स्वीकृति जरुरी है.
- समझ: बच्चों को सुनने और समझने की आवश्यकता है.
- स्वतंत्रता: बच्चों को उम्र अनुसार उपयुक्त विकल्प और स्वतंत्रता दिए जाने चाहिए.
- नतीजा: बच्चों को समझाना कि प्रत्येक व्यवहार का एक परिणाम होता है.
- सिखाना: बच्चों को वांछित एवं अवांछित व्यवहार के बारे में सिखाया जाना चाहिए.
- परिस्थिति: कुछ व्यवहार परिस्थिति/उम्र अनुरूप सही और गलत होते हैं. उन्हें यह सिखाया जाना चाहिए.
- लक्ष्य निर्धारण: गलत व्यवहार में सुधार के लिए छोटी लक्ष्य निर्धारित करें जिसे बच्चा हासिल कर सके.
घर में मेहमान आने पर पकवान बनाया गया था. संगीता पकवान की जिद कर रोने लगी. मेहमान घर में थे, अतः उसे चुप कराने के लिए मां ने उसे पकवान दे दिया. संगीता ने क्या सिखा? रोने ने मांग पूरी हो जाती है. क्या यह गलती हम सभी नहीं करते. अगर बच्चे अपनी इस सीख की पुनरावृति करते हैं तो इसके लिए जिम्मेदार कौन हैं? संगीता को पकवान देने के पूर्व कहा जा सकता था- “तुम्हे भी पकवान चाहिए तो जल्दी से यह … काम कर दो”. इससे उसकी सीख सकारात्मक होती. अतः यदि बच्चे गलत व्यवहार करते हैं, तो पहले पता करें कि वह ऐसा क्यों करते हैं फिर प्रतिक्रिया दें.
(दिव्यांग बच्चों के अवांछित, अतिसक्रीय व्यवहार में सुधार हेतु निशुल्क परामर्श के लिए लेखक से संपर्क किया जा सकता है)
परवरिश सीजन – 1
बच्चों की बेहतर पालन-पोषण और अभिभावकों की जिम्मेदारियां (परवरिश -1)
बेहतर पालन-पोषण के लिए सकारात्मक सामाजिक नियम अनिवार्य और महत्वपूर्ण हैं (परवरिश-2)
अभिभावक – बाल संवाद (परवरिश-5)
बच्चे दुर्व्यवहार क्यों करते हैं? (परवरिश-8)
मर्यादा निर्धारित करना, (परवरिश-9)
बच्चों को अनुशासित करने के सकारात्मक तरीके (परवरिश-10)
भावनाओं पर नियंत्रण (परवरिश-12)
बच्चों की चिंतन प्रक्रिया और व्यवहार (परवरिश-13)
टालमटोल (बाल शिथिलता) और सफलता (परवरिश-14)
नशापान: प्रयोग से लत तक (परवरिश-15)
छेड़-छाड़ निवारण में अभिभावकों की भूमिका (परवरिश-16)
बच्चों का प्रेरणास्रोत (परवरिश-17)
बच्चों के उद्वेग का प्रबंधन (परवरिश-18)
बच्चों में समानता का भाव विकसित करना (परवरिश-19)
स्थानीय पोषक खाद्य पदार्थ (परवरिश-21)
आपदा के समय बच्चों की परवरिश (परवरिश-22)
परवरिश सीजन – 2
विद्यालय के बाद का जीवन और अवसाद (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-01)
किशोरों की थकान और निंद्रा (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-02)
दोषारोपण बनाम समाधान (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-03)
किशोरों में आत्महत्या की प्रवृति (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-04)
पितृसत्ता और किशोरियों की परवरिश (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-05)
किशोर-किशोरियों में शारीरिक परिवर्तन (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-06)