राहुल मेहता
रांची: परवेज के पिता उसे अक्सर सुबह उठ कर पढ़ने के लिए कहते. वे उसे सुबह उठने की फायदे भी बताते. पर इन सीखों का उसपर कोई असर नहीं होता. यह सिर्फ उपदेश बन कर रह गयी. न तो परवेज कभी जल्द उठा न उसके पिताजी ने उसे उठाया. क्योंकि वे खुद देर से उठते थे.
जीवन में नियमों एवं मर्यादा का विशेष महत्व है. नियम और मर्यादा हमें व्यवहारकुशल बनाते हैं. परन्तु ये बच्चों में जन्मजात नहीं होती. हम बच्चों से जिन नियम और मर्यादा के पालन की अपेक्षा करते हैं वे उन्हें सिखाया जाना चाहिए.
नियमों और मर्यादा का उद्देश्य:
- बच्चों को सुरक्षित रखना और मुसीबत से बाहर निकालना.
- बच्चों को सही गलत-सिखाना,
- दूसरों के लिए सम्मान दिखाना, उम्र अनुसार व्यवहार करना.
- जिम्मेदार और विश्वासी बनाना,
- उचित व्यवहार सिखाना और परिवार में आपसी सहयोग बढ़ाना.
बच्चों को नियम और मर्यादा कैसे सिखायें:-
नियम एवं मर्यादा केवल उपदेश देकर नहीं सिखाई जा सकतीं. बच्चे बहुत कुछ देख कर भी सीखते हैं. अत: केवल परवेज के पिता की तरह उपदेश देने से बचे. बच्चों के लिए रोल- मॉडल बने एवं निर्धारित नियमों एवं मर्यादाओं का पालन करे. यदि नियम बच्चा एवं वयस्क के लिए भिन्न हैं तो उसका कारण एवं तर्क बच्चे को अवश्य समझाएं. साथ ही
- नियमों की सीमाएं तय करें, बहुत से नियम बच्चों को खुद से सीखने से रोकते हैं.
- नियम और मर्यादा उपयुक्त, सरल, स्पष्ट और बच्चों के उम्र और क्षमताओं के अनुरूप होना चाहिए.
- मर्यादाओं का लगातार पालन होना चाहिए. इन्हें दिन-प्रतिदिन बदलना नहीं चाहिए.
- बच्चे को क्या नहीं करना है के बजाये क्या करना है बताएं.
- नियम और मर्यादा का परिणाम भी निर्धारित करें. बच्चे को अवश्य बताएं कि नियमों के पालन नहीं करने का परिणाम क्या होगा.
- नियम और मर्यादा निर्धारित करते समय बच्चों से भी चर्चा करें (जैसे- कितनी देर टीवी देखना है, क्या देखना है).
यौनिकता एवं मर्यादा:
किशोरावस्था में यौनिकता के प्रति बच्चों में जिज्ञासा स्वभाविक है. परन्तु मर्यादावश अधिकतर भारतीय अभिभावक बच्चों से इस विषय पर चर्चा नहीं करते. इन्टरनेट के कारण आजकल यौन सम्बन्धी सामग्री सर्वसुलभ हो गए हैं. जिज्ञासावश बच्चे इनका उपयोग कर सकते हैं. गलत या अधूरी जानकारी ज्यादा खतरनाक होते हैं. अतः
- प्रयास करें की बच्चे इन सामग्रीयों से दूर रहें.
- उचित अवसर का बच्चों को यौन शिक्षा के लिए उपयोग करें.
- यौन व्यवहार को गलत बताने या गलत जानकारी के बजाय उम्र अनुसार व्यवहार और मर्यादा पर जोर दें.
- प्रयोग कैसे लत में बदल जाती है और यह कितनी घातक हो सकती है समझाएं.
- यदि बच्चे यौन सम्बन्धी मर्यादा का उल्लंघन करते हुए पकड़े जाते हैं तो उन्हें बिना शर्मिंदा किये सिखाएं.
अक्सर कहानी या घटना के विवरण के माध्यम से अप्रत्यक्ष सीख, मर्यादा उल्लंघन के अवसरों को सीमित करना, बच्चे के संगत पर नज़र रखना लाभकारी होते हैं.
परवरिश सीजन – 1
बच्चों की बेहतर पालन-पोषण और अभिभावकों की जिम्मेदारियां (परवरिश -1)
बेहतर पालन-पोषण के लिए सकारात्मक सामाजिक नियम अनिवार्य और महत्वपूर्ण हैं (परवरिश-2)
अभिभावक – बाल संवाद (परवरिश-5)
बच्चे दुर्व्यवहार क्यों करते हैं? (परवरिश-8)
मर्यादा निर्धारित करना, (परवरिश-9)
बच्चों को अनुशासित करने के सकारात्मक तरीके (परवरिश-10)
भावनाओं पर नियंत्रण (परवरिश-12)
बच्चों की चिंतन प्रक्रिया और व्यवहार (परवरिश-13)
टालमटोल (बाल शिथिलता) और सफलता (परवरिश-14)
नशापान: प्रयोग से लत तक (परवरिश-15)
छेड़-छाड़ निवारण में अभिभावकों की भूमिका (परवरिश-16)
बच्चों का प्रेरणास्रोत (परवरिश-17)
बच्चों के उद्वेग का प्रबंधन (परवरिश-18)
बच्चों में समानता का भाव विकसित करना (परवरिश-19)
स्थानीय पोषक खाद्य पदार्थ (परवरिश-21)
आपदा के समय बच्चों की परवरिश (परवरिश-22)
परवरिश सीजन – 2
विद्यालय के बाद का जीवन और अवसाद (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-01)
किशोरों की थकान और निंद्रा (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-02)
दोषारोपण बनाम समाधान (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-03)
किशोरों में आत्महत्या की प्रवृति (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-04)
पितृसत्ता और किशोरियों की परवरिश (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-05)
किशोर-किशोरियों में शारीरिक परिवर्तन (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-06)