राहुल मेहता
रांची: मोबाइल ने होली को और रंगीन बना दिया है. होली के हजारों वीडियो स्वतः उपलब्ध हैं. बिनोद भी उन वीडियो का आनंद उठा रहा था. पर यह क्या? रंग में भंग पड़ गया. चेहरे की भाव-भंगिमा बदल गयी. गुस्से में पत्नी को आवाज दी- ‘ललिता, देखो अपने लाड़ले का करतूत’. ललिता भी भौचक. होली के एक वीडियो में उनका नाबालिग बेटा दोस्तों के संग शराब और सिगरेट का सेवन कर रहा था. वीडियो चालू थी और पति-पत्नी में इसके जिम्मेदारी के लिए आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी था. कहीं बेटे के नशापान के लिए वह या उनकी परवरिश भी तो कारक नहीं?
नशापान का कारण
नशापान के विभिन्न कारण हो सकते हैं जैसे सामाजिक मान्यता, परिवेश, अनुवांशिक, लिंग, पारिवारिक परिस्थिति, संगती, उपलब्धता आदि. सामान्यतः नशापान की शुरुआत सामाजिक, संज्ञानात्मक, सांस्कृतिक, व्यक्तित्व, धार्मिक, विकास के अवधारणा के परपेक्ष्य में होता है. किशोरावस्था के दौरान पारिवारिक समस्या, माता-पिता की अनदेखी, दुर्व्यवहार, शिथिलता, अनुचित (कम या ज्यादा) नियंत्रण, अनुचित परवरिश नशापान के प्रमुख कारण होते हैं.
नशे की शुरुआत
रमेश ने नव-वर्ष पार्टी में शराब सेवन से मना कर दिया. दोस्तों के ताना, बारंबार अनुरोध और सिर्फ एक बार चखने के चक्कर में एक पैग ले लिया. पर वह यह नहीं जनता था कि गड्ढे में गिरने से बचाव उसमें पहली कदम पड़ने के पूर्व करना पड़ता है. बच्चे शराब, खैनी, पान, गुटका, सिगरेट, आदि नशा के साथ डेनडराइट जैसे पदार्थो का भी नशा करते हैं. अधिकतर बच्चे नशापान के दुष्प्रभाव और इसके गंभीरता से वाकिफ नहीं होते. नशे की लत अक्सर बच्चे दोस्तों के दबाव में या प्रयोग के तौर पर करते हैं जो उचित हस्तक्षेप के अभाव में लत में बदल जाती है.
नशापान की लत
- बच्चे अधिकतर समय नशा अपने बड़ों, दोस्तों को देख कर बतौर प्रयोग शुरू करते हैं.
- सिगरेट जैसे नशा का प्रयोग बच्चे रौब ज़माने के लिए भी करते हैं.
- कभी-कभार दोस्तों के दबाव में या ‘बस एक बार’ के चक्कर में नशापान प्रारंभ हो जाता है.
- ‘मन बहलाने या गम भुलाने’ के गलत अवधारना के कारण भी बच्चे यह प्रयोग करते हैं.
बच्चों पर नशापान का दुष्प्रभाव
- स्वास्थ्य, दांत, शिक्षा, शैक्षणिक प्रदर्शन, विकास व्यक्तित्व पर प्रतिकूल प्रभाव
- चोरी, छीनतई, झूठ बोलना, झगड़ा, अपराध जैसे अवगुणों की संभावना
- माता-पिता, शिक्षक के अवज्ञा, विद्रोही होने का खतरा
- जीवन के उद्देश्य एवं कौशल विकास से विमुख होने, दुर्घटना,अवसाद का खतरा
अभिभावकों की भूमिका
- बच्चे बड़ों को देखकर सीखते हैं और फिर वही करने की कोशिश करते हैं. अतः बच्चों के सामने नशापान से बचे.
- बच्चे के व्यवहार, स्कूल बैग और दोस्तों पर नज़र रखें. प्रयोग कैसे लत में बदल जाती है- बताएं.
- नशा के दुष्प्रभाव पर खुल कर बात करें. व्यक्ति की उम्र उपयुक्त आदत पर भी प्रकाश डालें.
- अगर पैसा चोरी होता है, बच्चा किसी परेशानी में है तो बच्चे पर नज़र रखें.
- नशा का पता चलने में डांटे नहीं, उसे सही-गलत की जानकारी दें और नशामुक्ति के लिए लक्ष्य निर्धारित करें.
- समस्या विकराल होने पर परामर्शी की मदद लें.
पारिवारिक समस्या वाले, नशापान करने वाले अभिभावकों के बच्चों में भावनात्मक, व्यवहारिक और सामाजिक समस्याओं का खतरा ज्यादा होता है और उनमे नशापान की संभावना ज्यादा होती है. बच्चों में नशापान के निवारण के लिए परिवेश, परवरिश दक्षता, पारिवारिक-संवाद, संगती, धार्मिक शिक्षा, स्व-नियंत्रण आदि पर विशेष ध्यान दें.
परवरिश सीजन – 1
बच्चों की बेहतर पालन-पोषण और अभिभावकों की जिम्मेदारियां (परवरिश -1)
बेहतर पालन-पोषण के लिए सकारात्मक सामाजिक नियम अनिवार्य और महत्वपूर्ण हैं (परवरिश-2)
अभिभावक – बाल संवाद (परवरिश-5)
बच्चे दुर्व्यवहार क्यों करते हैं? (परवरिश-8)
मर्यादा निर्धारित करना, (परवरिश-9)
बच्चों को अनुशासित करने के सकारात्मक तरीके (परवरिश-10)
भावनाओं पर नियंत्रण (परवरिश-12)
बच्चों की चिंतन प्रक्रिया और व्यवहार (परवरिश-13)
टालमटोल (बाल शिथिलता) और सफलता (परवरिश-14)
नशापान: प्रयोग से लत तक (परवरिश-15)
छेड़-छाड़ निवारण में अभिभावकों की भूमिका (परवरिश-16)
बच्चों का प्रेरणास्रोत (परवरिश-17)
बच्चों के उद्वेग का प्रबंधन (परवरिश-18)
बच्चों में समानता का भाव विकसित करना (परवरिश-19)
स्थानीय पोषक खाद्य पदार्थ (परवरिश-21)
आपदा के समय बच्चों की परवरिश (परवरिश-22)
परवरिश सीजन – 2
विद्यालय के बाद का जीवन और अवसाद (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-01)
किशोरों की थकान और निंद्रा (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-02)
दोषारोपण बनाम समाधान (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-03)
किशोरों में आत्महत्या की प्रवृति (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-04)
पितृसत्ता और किशोरियों की परवरिश (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-05)
किशोर-किशोरियों में शारीरिक परिवर्तन (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-06)