राहुल मेहता
रांची: कोरोना ने सभी को घर में सीमित कर दिया था. दीपक को तो आराम था पर अनुराधा का कार्यबोझ काफी बढ़ गया था. उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर वह सभी की फरमाइश कैसे पूरा कर पायेगी. घर में तो अपने से कोई एक गिलास पानी भी लेकर नहीं पीता था. कुछ भी काम हो बस “मम्मी या अनुराधा”. लॉकडाउन के 3-4 दिन तो किसी प्रकार निकल गए, लेकिन उसके बाद वही पुरानी खिच-पिच. उसने एक दिन दीपक से खुल कर बात किया और घर के कामों में सहयोग के लिए कहा. आनाकानी के बाद दीपक भी समझ गया और घर के काम में हाथ बंटाने का प्रयास करने लगा. आश्चर्यजनक! दोनों बेटे भी बिना बोले घर के काम में हाथ बंटाने लगे.
एक अच्छा प्रेरणास्रोत (रोल मॉडल) का गुण
बच्चे, बड़ों को देख कर भी सीखते हैं. अतः बच्चों को क्या करनी चाहिए यह सिखाने के लिए वयस्कों को एक अच्छा प्रेरणास्रोत बनने का प्रयास करना चाहिए. उन्हें वैसा व्यवहार करना चाहिए, जैसा वे अपने बच्चों से उम्मीद करतें हैं. एक अच्छा प्रेरणास्रोत वह है जो सकारात्मक गुणों और अच्छे व्यवहारों का प्रदर्शन करता है और दूसरों को अपने जैसा बनने के लिए प्रेरित करता है. घर के बाहर भी प्रेरणास्रोत हो सकते हैं, परन्तु प्रारंभिक प्रेरणास्रोत अभिभावक ही होते हैं अतः
- आप जो कहते और जो करते हैं उसमें ईमानदार और सुसंगत रहें. तार्किक रहें
- कार्य पूरा करने के बजाय जिम्मेदारी और जवाबदेही पर जोर दें.
- दूसरों के प्रति सम्मान प्रदर्शित करें. अपने दोस्तों को अच्छी तरह से चुनें.
- अपने कार्यों की जांच करें; हमेशा सुधार करने का प्रयास करें.
- बुरे व्यवहार और नकारात्मक गुणों से बचें. बच्चों के समक्ष नशापान न करें, गालियाँ न दें.
एक बेहतर प्रेरणास्रोत बनने के टिप्स
- बच्चे अच्छे पर्यवेक्षक होते हैं. बड़े जो कहते हैं, वे उससे ज्यादा सीखते हैं.
- एक चुनौती या संकट का सामना करना एक उत्कृष्ट प्रशिक्षण का अवसर होता है, बच्चों को भी चुनौतियों का सामना करना सिखाएं.
- हमेशा अपना सर्वोत्तम देने का प्रयास करें. असफलता से निराश होने के बजाय पुनः प्रयास करें.
- जब आप गलतियां करते हैं, तो अपना पक्ष रखें और खेद व्यक्त करें.
- बच्चों को किसी विशिष्ट निर्णय या व्यवहार का कारण बताएं. उन्हें बताएं की कुछ व्यवहार उम्र अनुरूप होते हैं.
अवसर का उपयोग शिक्षा के लिए करें
बच्चे अपने प्रेरणास्रोत को देख कर सीखते हैं. पर उनकी प्राथमिकता उन्हीं पर निर्भर करती है. साधारणतः बच्चे गलत व्यवहार आसानी से नकल करने लगते हैं परन्तु सद्गुणों को विलम्ब से अपनाते हैं. परिस्थितिनुरूप सद्गुणों का प्रदर्शन बच्चों को सीखने का अतिरिक्त अवसर प्रदान करता है, जैसा दीपक के घर में हुआ. अतः निम्न सद्गुणों का प्रदर्शन नियमित रूप से करें:
- सम्मान: भेदभाव, ऊंचनीच से परे शिक्षकों और बड़ों का सम्मान करें,
- विनम्रता: विनम्र बने और अभिमान से दूर रहें,
- सत्यता: जिम्मेदारी से और सच बोलें, बात थोपने के बजाय तर्कपूर्ण तथ्य से बहस करें,
- अनुशासन: अपना कार्य व्यवस्थित तरीके से करें, सही समय पर सही काम करें,
- कड़ी मेहनत: अपना काम मेहनत से करें, धैर्य बनाए रखें, कुछ नया करने का प्रयास करें,
- स्वच्छता: हमेशा स्वच्छ रहें, साफ-सुथरा तरीके से काम करें, स्वच्छता को काम के बजाय आदत समझें
- सहयोग: घर के उपयुक्त काम में परिवार को सहयोग करें,
- समस्या के बजाय समाधान: समस्या पर ध्यान केन्द्रित कर अपने जवाबदेही से बचने के जगह समाधान पर ध्यान केन्द्रित करें. बच्चों को उपलब्ध संसाधनों का समुचित उपयोग कर चुनौतियों का सामना करना सिखाएं.
परवरिश सीजन – 1
बच्चों की बेहतर पालन-पोषण और अभिभावकों की जिम्मेदारियां (परवरिश -1)
बेहतर पालन-पोषण के लिए सकारात्मक सामाजिक नियम अनिवार्य और महत्वपूर्ण हैं (परवरिश-2)
अभिभावक – बाल संवाद (परवरिश-5)
बच्चे दुर्व्यवहार क्यों करते हैं? (परवरिश-8)
मर्यादा निर्धारित करना, (परवरिश-9)
बच्चों को अनुशासित करने के सकारात्मक तरीके (परवरिश-10)
भावनाओं पर नियंत्रण (परवरिश-12)
बच्चों की चिंतन प्रक्रिया और व्यवहार (परवरिश-13)
टालमटोल (बाल शिथिलता) और सफलता (परवरिश-14)
नशापान: प्रयोग से लत तक (परवरिश-15)
छेड़-छाड़ निवारण में अभिभावकों की भूमिका (परवरिश-16)
बच्चों का प्रेरणास्रोत (परवरिश-17)
बच्चों के उद्वेग का प्रबंधन (परवरिश-18)
बच्चों में समानता का भाव विकसित करना (परवरिश-19)
स्थानीय पोषक खाद्य पदार्थ (परवरिश-21)
आपदा के समय बच्चों की परवरिश (परवरिश-22)
परवरिश सीजन – 2
विद्यालय के बाद का जीवन और अवसाद (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-01)
किशोरों की थकान और निंद्रा (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-02)
दोषारोपण बनाम समाधान (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-03)
किशोरों में आत्महत्या की प्रवृति (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-04)
पितृसत्ता और किशोरियों की परवरिश (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-05)
किशोर-किशोरियों में शारीरिक परिवर्तन (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-06)
“आंचल” परवरिश मार्गदर्शिका’ हर अभिभावक के लिए अपरिहार्य